26 दिसंबर 2022/ पौष शुक्ल चतुर्थी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी /
आज पूरा जैन समाज, बच्चे से लेकर वृद्ध तक, पुरुष और महिलाएं, सक्षम और असक्षम, जाने वाला और फोटो देखने वाला, सभी के हृदय में एक ही बात है, श्री सम्मेद शिखरजी, ना पर्यटन क्षेत्र हो, ना धार्मिक पर्यटन, वह केवल अहिंसक, शाकाहार , जैन पवित्र तीर्थ क्षेत्र हो और हां, आप भी तो यही चाहते हैं और सचमुच अगर चाहते हैं, तो क्या कुछ कर भी सकते हैं। हां, आपने रैली भी निकाली होगी , ज्ञापन भी दिया होगा, आवाज भी बुलंद की होगी, प्रदर्शन भी किया होगा और भी, कुछ ना कुछ शिखरजी के लिए जरूर किया होगा। पर अब अपने-अपने शहरों की बजाए, शिखरजी में कुछ करना होगा। जागरूकता करनी होगी।
तीर्थक्षेत्र कमेटी का हाथ मजबूत करना होगा । वहां के प्रशासन को भी जैन एकता दिखानी होगी। जैन समाज जब एक हो जाता है , तो वह इस तीर्थ के लिए , इसकी सुरक्षा के लिए, इसकी पावनता के लिए, स्वयं ग्राउंड में पहुंच जाता है। 31 जनवरी तक, वहां पर हजारों अजैन भाई भी पहाड़ पर चढ़ते हैं। उनमें से कुछ श्रद्धालु भी होते हैं। पर कुछ मौज मस्ती , घूमने, रोमांटिक मूड में ,खाने पीने में , सिगरेट का धुआं आसमान में उड़ाने में और भी कई रूप में , वे भी आते हैं। उन सब को जागरूक करना होगा।
जूते चप्पल से मंदिर में नहीं आते। टोंकों पर वंदना करते हुए ,खाना पीना नहीं खाते , सिगरेट नहीं फूंकते, अपशब्द नहीं बोलते । जैसी जहां की परंपरा है, उसी रूप में बढ़ते हैं । पहाड़ की पावनता को नुकसान नहीं पहुंचाते, पर्यावरण का हित देखते हैं। इसके लिए आप में से जो युवा है, उनसे अपील है कि आप भी ग्रुप में शिखर जी आए और जागरूकता का पाठ पढ़ाएं। निश्चय ही जब, यह जागरूकता का आह्वान होगा , तो ऐसा कोई भाई नहीं होगा, जो वहां पर गलत कार्य करें। गलत भावों से पहाड़ पर जाए। एक कोशिश तो कीजिए।
शिखर जी की पावनता के लिए ,अब अपने शहरों में, गांवों में शोर मचाने की बजाय, एक बार शिखर जी आइए और वहां का पावनता का, पूज्यता का , तिलक अपने माथे लगाइए और जागरूक करिए । तब वह दिन दूर नहीं होगा , जब यहां पर हजारों अजैन भाई भी आएंगे, पर सब वंदना के भाव से, धार्मिकता के साथ , जैन परंपरा के अनुसार यहां वंदना कर सकेंगे । कोई नहीं खाएगा पहाड़ों के ऊपर । कोई जूते नहीं लेकर जाएगा पहाड़ों पर।
यह वंदनीय तीर्थ , हकीकत में पवित्र जैन तीर्थ होने में, ज्यादा देर नहीं लगेगी । हां , प्रशासन काम कर रहा है , तीर्थक्षेत्र कमेटी काम कर रही है। वहां पर विराजमान संत भी अपने-अपने रूप में पदाधिकारियों को और अधिकारियों को मार्गदर्शन दे रहे हैं । संभव है 2023 की पहली किरण में, आपको , हम को सभी को अच्छी खुशखबरी मिले, पर अगर हम अपने गांव, शहरों से निकल सके तो सोने पर सुहागा।
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