श्री सम्मेदशिखरजी की पवित्रता के लिए हमेशा भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी गंभीर

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विश्व प्रसिद्ध जैनियों के तीर्थस्थल श्री सम्मेदशिखरजी जो जैनियों का महानतम् तीर्थस्थल है, जहाँ 24 तीर्थंकरों में से 20 तीर्थंकरों ने निर्वाण प्राप्त किया है, जिनके पूजा-अर्चना के लिए देश-विदेश से लाखों तीर्थ यात्री प्रति वर्ष श्री सम्मेदशिखर जी पधारतें है, पारसनाथ पर्वत जिसका कन-कन पवित्र है, इस क्षेत्र की पवित्रता बनी रहे इसके लिए हमेशा भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी गंभीर रही है।
आप भली-भांति इस बात से भी अवगत हैं कि इस समय हमारा देश और पूरा विश्व कोरोना जैसे महामारी से भी जूझ रहा है और इस भयावह बिमारी से बचने के लिए देश के सभी धार्मिक स्थलों को बंद रखा गया था, तब भी कमेटी अपने तीर्थ क्षेत्र को गंभीरता पूर्वक ले रही थी और समय-समय पर सरकार के साथ अपने मन्तव्य को रखते हुए पार्श्वनाथ टोंक पर पूजा-प्रक्षाल को जारी रखते हुऐ समय-समय उचित कार्यवाई करती रहीं, पत्रांक संख्या बी.डी.जे.22/2020 दिनांक 23/10/2020 के माध्यम से तीर्थक्षेत्र कमेटी की ओर से अंर्तराज्यीय परिवहन सेवा शुरू करने व 14 दिनों का कोरेंटिन की बाध्यता समाप्त करने के संबंध में राज्य के मुख्यमंत्री महोदय को पत्र भेजा जिस पर त्वरित कार्यवाई करते हुए अगले दिन ही राज्य सरकार ने आदेश जारी कर दिया, तब यह सेवा तीर्थयात्रियों के लिए प्रारम्भ की गई जिसका लाभ सभी को मिल रहा है।

पारसनाथ पर्वत आज जैनियों के साथ-साथ अजैन लोगों के लिए भी श्रृद्धा का केन्द्र है, उदाहरण के लिए प्रत्येक वर्ष मकर संक्राति पर्व पर लाखों की संख्सा में अजैन श्रद्धालु भी भगवान पार्श्वनाथ के दर्शन के लिए हमेशा शिखरजी पधारतें हैं, उनकी संख्या इतनी अधिक होती है की भीड़ को देखते हुए यहां के प्रशासन व स्थानीय लोगों की सहायता से इस मेले को सम्भाला जाता रहा है, परन्तु इस वर्ष कुछ अलग ही हुआ, देश में कोरोना का संकट होने के कारण सरकार का कोई आदेश नहीं था कि मेला का आयोजन हो।
कहतें है श्रद्धा के आगे सब कुछ फिका पड़ जाता है ऐसा ही कुछ आभास मकर संक्रांति के अवसर पर हो रहा था इसके लिए पूर्व की तरह भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी ने अपने क्षेत्र के लिए गंम्भीरता दिखाई, गंम्भीर इसलिए क्योंकि मेला समिति जो पिछले कई वर्षों से इस मेला का आयोजन करते आ रही थी मेले से पहले ही घोषणा कर दी कि कोरोना के संकट को देखते हेए मेले का आयोजन नहीं होगा, परन्तु ऐसा नहीं हुआ साथ ही कमेटी की सोंच सत्य हुई, कमेटी की एक टीम ने श्री राजकुमार जैन अजमेरा की अगुवाई में मेले से पूर्व ही जिला प्रशासन से मिल कर पार्श्वनाथ की पवित्रता, मेला के लिए समुचित व्यवस्था एवं कोरोना से बचाव के लिए जागरूकता पर विस्तार रूप से चर्चा की, यह कार्य सही माएने में रंग लाया,
मेला के पूर्व जिला प्रशासन ने कोरोना की गंम्भीरता पर प्रचार-प्रसार के लिए वाहन से जनसंपर्क विभाग द्वारा प्राचार शूरू कर दिया जिसमे विशेष रूप से पर्वत की पवित्रता को बनाए रखने पर ज़ोर देते हुए कहा गया की पर्वत पर यात्रा के समय प्लास्टिक की वस्तु, गुटखा, नसीली पदार्थ, मास – मदीरा, अंडा आदि का प्रवेश पूरी तरह से वर्जित है, मधुबन मोड़ से पर्वत तक पुलिस के साथ कुल तीन बेरिकेट लगाये गयें, सभी वाहनों के प्रवेश पर पुरी तरह से रोक लगा दी थी, प्रशासन के कार्य को देखते हुए स्थानीय लोगों ने भी चुस्ती-फुरती दिखाई, भीड़ इतनी अधिक था कि जो भी दर्शननार्थी दर्शन के लिए आयें उनके वाहन पड़ाव की व्यवस्था शिखरजी से पहले बिरनगडडा गांव में कर दी गई थी जिसके लिए मेला समिति धन्यवाद के पात्र है,
कोरोना से बचाव के लिए कमेटी की ओर से पधारें हुए श्रद्धालुओं को सेनेटाईज किया जा रहा था और मुफ्त में मास्क का वितरण भी किया गया, पर्वत की चड़ाई के पहले वन विभाग द्वारा सभी अनुयायियों पास वस्तु जैसे थैला आदि की जांच कर पर्वत मार्ग में प्रवेश, कमेटी की पहल पर पार्श्वनाथ की पवित्रता के लिए टोंक पर पद चिन्ह के चारों ओर एक घेराव भी कर दिया गया था जिससे लोग पद चिन्ह का दर्शन दूर से ही करें। पर्वत पर भी डी.एफ.ओ. के आदेश पर वन विभाग द्वारा कुल तीन बेरिकेट और लगाए गए थे, इस समुचित वेवस्था के लिए मेला समिति, स्थानिये प्रशासन, जिला प्रशासन जिन्हों ने पर्वत की पवित्रता के साथ साथ इस मेला को सफल करने के लिए कर्मठ रही धन्यवाद के पात्र हैं, भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी गम्भीर थी और हमेशा रहेगी ।