अनादि निधन शाश्वत तीर्थ है श्री सम्मेदशिखरजी- सम्पूर्ण वंदना : 25 टोंको पर 66 चरण

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सम्मेद शिखर सम्पूर्ण वंदना : 25 टोंको पर 66 चरण
1-गौतम गणधर 35 चरण है,
24 तीर्थंकरो के व 10 पारसनाथ भगवान के गणधर के सफेद वर्ण के है व गौतम गणधर के श्याम वर्ण के
विशेषता – इस कूट की विशेषता है कि यह स्थान पर्वत पर समतल भूमि पर है
इस कूट से एक साथ 9 टोंक के दर्शन और होते है , पॉच टोंक दायी और व चार टोंक बाई और है
2-इस टोंक पर 35 चरण बने है , जिनमे 34 श्वेत वर्ण के व एक श्याम वर्ण के है
2-कुंथुनाथ जी -ज्ञानधर कूट -श्याम वर्ण के चरण है
3-नमि नाथ जी -मित्रधर कूट श्याम वर्ण के चरण है –
4-अरहनाथ जी -नाटक कूट – श्याम वर्ण के चरण है , इस कूट से एक कम एक अरब मुनि मोक्ष गये !
5-मल्लिनाथ जी -संवल कूट। श्याम वर्ण के चरण है ,इस कूट से 96करोड़ मुनि मोक्ष गये
6-श्रेयांस नाथ जी -संकुल कूट -श्याम वर्ण के चरण
7-सुविध नाथ जी (पुष्पदंत जी) -सुप्रभ कूट -सफेद वर्ण के चरण
*विशेषता * इस कूट की यह विशेषता है कि यह अकेली कूट है जो चारो तरफ से खुली है
8-पद्म प्रभ जी -मोहन कूट -श्याम वर्ण के चरण
*विशेषता – यह कूट तीन तरफ से खुली है !
9-मुनिसुव्रतनाथ भगवान -निर्जर कूट-श्याम वर्ण के चरण! इस कूट से ही सबसे ज्यादा मुनि मोक्ष गये है
10-चन्द्रप्रभू जी -ललितकूट -श्याम वर्ण के चरण
विशेषता – इस कूट की यह विशेषता है कि दूर से देखने पर चन्द्नमा हमेशा इसी टोंक के उपर नजर आता है ! और इस टोंक मे दो परिक्रमा है
11-आदिनाथ जी -कैलाश पर्वत से मोक्ष गये -सफेद वर्ण के चरण
विशेषताये — 1-सबसे बड़े चरण है क्योकि आदिनाथ भगवान की अवगाहना सबसे ज्यादा थी , 2-चरण के बीच मे बैल का चिन्ह बना है
3-श्वेत वर्ण के चरण है
12-शीतलनाथ जी -विधुतवर कूट -काले वर्ण के चरण है
विशेषता -इस कूट की यह विशेषता है कि परिक्रमा लगाने पर सभी टोंको के दर्शन होते है
13-अनंत नाथ जी -स्वयंभू कूट -श्याम वर्ण के चरण
विशेषता -इस कूट की भी यही विशेषता है कि परिक्रमा लगाने रर सभी टोंक के दर्शन होते है
14-संभव नाथ जी -धवल कूट। श्याम वर्ण के चरण व 4वे अनंत नाथ जी — इन दो भगवान की टोंक से परिक्रमा लगाने पर सभी टोंको के दर्शन होते है !
सभी टोंको मे केवल दो ही टोंक ऐसी है जिन में दो दोपरिक्रमा है – 8वे चन्द्रप्रभ जी की ललित कूट व 23वे पार्श्वनाथ जी की स्वर्णभद्र कूट
सभी टोंको मे केवल सुविधि नाथ भगवान की सुप्रभ कूट ही ऐसी है जो चारो तरफ से खुली है
पद्म प्रभ जी की मोहन कूट तीन तरफ से खुली है व पार्शव नाथ जी की स्वर्ण भद्र कूट भी तीन तरफ से खुली है
शेष सभी टोंके एक ही तरफ से खुली है
सभी टोको मे केवल तीन टोंक ही ऐसी है जिन पर एक जोड़ी चरण से ज्यादा चरण बने है
गौतम स्वामि की टोंक –35 युगल चरण
वासुपूज्य जी की टोंक पर पॉच युग्ल चरण है
नेमिनाथ भगवान की टोंक पर 3 युग्ल चरण बने है
पार्शव नाथ भगवान की टोंक पर नीचे गुफा मे भी चरण बने है इस प्रकार पार्शवनाथ भगवान की टोंक पर भी दो चरण है
सम्मेद शिखर जी मे 25 टोंको पर टोटल चरण 66 चरण है
सम्मेद शिखर जी मे पार्शवनाथ टोंक व अभिननंदन नाथ भगवान की टोंक पर चरण पुन: स्थापित हुये
सम्मेद शिखर जी से वर्तमान मे हुंडावसर्पिणी काल के दोष के कारण ही बीस तीर्थंकर ही शाश्वत भूमि से मोक्ष गये है
जब्कि भविषय काल मे यहॉ से पूरे 24 तीर्थंकर ही मोक्ष जायेगे
इसी कारण यहॉ पूरे 24 तीर्थंकर की टोंक बनी हुई है !
यह सम्मेद शिखर जी की सम्पूर्ण वंदना है