06 दिसंबर 2022/ मंगसिर शुक्ल चतुर्दशी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी
दूसरे तीर्थंकर श्री अजीत नाथ जी के 10 लाख कोटि सागर बीत जाने के बाद, श्रावस्ती नगरी में तीसरे तीर्थंकर श्री संभव नाथ जी का जन्म, माता महारानी श्री सुसेना जी के गर्भ से होता है । आपकी आयु 60 लाख वर्ष पूर्व थी और कद 2400 फुट।
44 लाख वर्ष पूर्व चार पूर्वांग राज्य करने के बाद, एक दिन सर्दियों में, राजमहल से ऊपर देखते हुए, आसमान में बादलों के उमड़ घुमड़ कर, आते जाते और विनाश को प्राप्त होते देखकर , आपके मन में इस संसार से वैराग्य की भावना बलवती हो गई और आपने सहेतुक वन में 1000 राजाओं के साथ दीक्षा ग्रहण कर ली।
वह पावन दिन था मंगसिर शुक्ल की पूर्णिमा । आपने 14 वर्षों तक कठोर तपस्या की और पहला आहार श्रावस्ती नगरी में ही गाय की दूध की खीर के रूप में, श्री सुरेंद्र दत्त जी ने दिया। बोलिए, तीसरे तीर्थंकर श्री संभव नाथ जी के तप कल्याणक की जय , जय, जय