चातुर्मास के लिए लाए चतुर्थकालीन चर्या वाले मुनि को और पहले ही दिन, बिना आहार के, मजबूरन अकेले विहार को कर दिया मजबूर , फिर एक शख्स बन गया देवता

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26 जून 2023/ आषाढ़ शुक्ल अष्टमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ EXCLUSIVE/शरद जैन
जब आज पूरा देश विशेषकर, उत्तर भारत, चतुर्थकालीन चर्या वाले साधुओं को देखकर, आश्चर्यचकित रह जाता हो, अपने को बहुत सौभाग्यशाली मानता हो, जैसे ही उनके दर्शन होते हैं। ऐसे समय में क्या कोई समाज ऐसा भी हो सकता है कि वह उनकी चतुर्थ कालीन चर्या ही नहीं चाहे, वह नहीं चाहे कि दिगंबर संत, पंखे, कूलर, एसी का इस्तेमाल ना करें। वह नहीं चाहे कि सुबह शुद्धि के लिए जंगल में जाएं। वह नहीं चाहे कि आहार के समय ऐसी आकडी विधि में ली जाए कि विधि ही ना मिले , तो उपवास करें।

जब हर कोई ऐसे संतो को देखकर गदगद होता हो, तब एक समाज उनकी ऐसी चर्या को देखकर, बिना आहार के ही , क्या विहार करा सकता है? क्या यह संभव है कि वह समाज जो 2 साल से एक साधु के चतुर्मास के लिए बार-बार विनती कर रहा हो और जब मिल जाए , तब उनसे बार-बार पूछा भी जाए कि अगर आप चतुर्थ कालीन चर्या नहीं करवा सकते तो, मैं कहीं और चतुर्मास कर लूंगा , तब भी वह पीछे पड़ जाए , उसे चतुर्मास मिल जाए। पर जब मिल जाए , तो कमेटी का फिर कुछ पता ना चले।

तपती दोपहर 30, 40 किलोमीटर जबरन विहार कराया जाए ?
तपती धूप के नीचे कमेटी का कोई आदमी कभी विहार में आज तक ना आए हो ।
जब उनका मंदिर में प्रवेश हो, तो समाज का एक आदमी भी ना हो।
वह साधु जो हर्निया की तकलीफ से बहुत परेशान हो, फिर भी अपनी चर्या ना छोड़ता हो क्या ऐसे सवालों का जवाब , आप कभी सोच सकेंगे?
पर ऐसा ही हुआ एक संत के साथ, जो चतुर्थ कालीन चर्या करते हैं ।

जंगल में शुद्धि के लिए जाते हैं, आहार के लिए एक बार ही उठते हैं और आकड़ी लेकर विधि नहीं मिलती, तो उपवास करते हैं।

एसी, पंखे, लाइट का उपयोग नहीं करते ।

धन्य हो जाते हैं जब, ऐसे संत के दर्शन करते हैं, जिन संत को समाज ने मजबूरन आहार के बिना, विहार के लिए जाने को मजबूर कर दिया, और जो संत अकेला चल दिया, उसको मात्र एक व्यक्ति ने रोक लिया, अपनी भक्ति से।

और कह दिया अगर कमेटी चतुर्मास नहीं कराती, तो महाराज मैं घर पर कराऊंगा। मैं छोटा जरूर हूं , पर अपनी हैसियत से 5 माह तक व्यवस्था निभाऊंगा। जंगल में शुद्धि होगी, कोई पंखा कूलर नहीं चलेगा, आप विधि से आहार करेंगे। जब यह सुनते हैं तो गदगद हो जाते हैं। आज ऐसा सब कुछ आप देख पाएंगे, सुन पाएंगे, चैनल महालक्ष्मी पर आज सोमवार, 26 जून के विशेष एपिसोड नंबर 1949 ,रात्रि 8:00 बजे, चतुर्थ कालीन चर्या वाले संत को बिना आहार, अकेले विहार को कैसे मजबूर करते हैं और फिर कैसे एक, जैसे देवता बन जाता है ।

देखिएगा जरूर आज, सोमवार, 26 जून को रात्रि 8:00 बजे चैनल महालक्ष्मी के विशेष एपिसोड में , एक्सक्लूसिव रूप से, सब कुछ।