सागर : जैन मंदिर भी हाथ से गया, साथ ही 10 गुना जगह भी- जैनों पर एफआईआर हुई, गिरफ्तारी भी हुई, पर जो तलवार, लाठियां लेकर आयें, पत्थर बरसायें, उन पर किसी ने आंख नहीं उठाई

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10 जनवरी 2025/ पौष शुक्ल नवमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी / शरद जैन /
सागर शांत हो गया, पर इसकी पूरी कीमत चुकानी पड़ी जैन समाज को। सोमवार 06 जनवरी को हुई मीटिंग में समझौते में झुकना पड़ा। 100 साल से भी पुराना क्षेत्रपाल मंदिर जो 10७7 का था, वो भी चला गया और साथ गई सागरोदय तीर्थकी 711 फीट जगह भी।

कौन-सा, किसका मंदिर? :
सागर के बड़ा बाजार क्षेत्र की जड़िया गली में जैन मंदिर था (यही कहना होगा आज) जो खंडहर रूप में जैनों ने छोड़ दिया था। कहते हैं 150 साल पहले यहां एक जैन पंडित रहते थे। उनकी पत्नी बीमार पड़ी, ठीक नहीं हो पा रही थी। तभी किसी ने बताया कि यहां चबूतरा बनाकर क्षेत्रपाल बाबा को स्थापित कर दो। बस उन्होंने एक आकृति वाला पाषाण लिया और चबूतरा बना उस पर सिंदूर लगाकर स्थापित किया। भक्ति का फल मिला। महात्म्य बढ़ता गया, इस बीच पंडित दम्पत्ति का निधन हो गया। बस उसके बाद जैन समाज ने धीरे-धीरे देखना बंद कर दिया, खंडहर हो गया, 25 साल पहले भी खंडहर ही था। फिर जब जैनों ने नजरें फेर ली तो मंदिर की दीवार के पीछे रहने वाले जड़िया समाज ने आना शुरू कर दिया। उन्होंने क्षेत्रपाल बाबा को गैड़ बाबा के रूप में पूजना शुरू कर दिया। बस यही स्थिति थी शनिवार 04 जनवरी को।

क्या हुआ शनिवार 04 जनवरी को :
मुनि पुंगव श्री सुधा सागरजी द्वारा नये वर्ष के पहले 3 दिन, तीन बड़े शिलान्यास किये और फिर 4 को सागरोदय तीर्थ के लिए जमीन को समतल करने का कार्य भी शुरू हो गया। इस कार्य के चलते कुछ लोक नकाब पहनकर उस क्षेत्रपाल मंदिर की ओर बढ़े और उसकी दीवारों की टाइलें निकालनी शुरु की। पीछे ही रहने वाले लोगों ने उन्हें रोकना, छीनना-झपटना शुरु हुआ, कुछ ने पत्थर भी उठाये, फिर नकाब पहने एक के हाथ में जो र्इंट निकालने का सब्बल था, वो पत्थर से बचते एक के सिर पर लगा, 12 टांके आये और फिर स्थिति खराब हो गई। मार दिया की आवाज ने जड़िया, सोनी समाज से अन्य में पहुंच गया।

शुरू हो गई तोड़फोड़-हमले :
रात होते-होते तलवारें, लाठियां लेकर लोग सड़कों पर सैकड़ों से हजारों की संख्या में पहुंच गये। मुनि पुंगव श्री सुधा सागरजी के प्रवास स्थल पर ‘मुर्दाबाद’ के नारे लगाये, पोस्टर-बैनर फाड़ दिये, जो तोड़ सकते थे, तोड़ा। जो भी जैन की दुकान दिखती, उसे तोड़ते गये। सुमत रुई मशीन वाले जो दुकाने के बाहर से देख रहे थे, अंदर घुस कर जान बचाई। सिंघई ज्वैलर्स वालों की दुकान नष्ट कर दी। ऐसे कई ने चैनल महालक्ष्मी को अपनी आप बीती बताई।

दर्ज हो गई प्राथमिकी :
तोड़फोड़ इधर, उधर थाने में मोनू जैन और 50 के खिलाफ यानि जैनों के ऊपर प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज हो गई। अगले दिन मोनू जैन की गिरफ्तारी भी हो गई। सागर में धारा 163 (पहले धारा 144) लगानी पड़ गई, क्योंकि अब स्थिति बेकाबू हो गई थी। पांच भी इकट्ठे होने पर बंदिश लग गई। आरपीएफ और पुलिस का फ्लैग मार्च भी शुरू हो गया। जगह-जगह नारेबाजी और पुलिस खदेड़ती दिख रही थी।

जैन समाज का बंद :
जैन समाज ने बढ़ते तनाव और अपने को असुरक्षित महसूस किया। निर्यापक श्रमण श्री सुधा सागरजी को आहार चर्या के लिये फोर्स और पुलिस की पहरेदारी में सैकड़ों जैन बंधु ले जाने लगे।
इधर जैन समाज ने बंद का आह्वान किया, देखते ही देखते दूसरी ओर से भी बंद का आह्वान, यानि सागर बंद। पर बढ़ा बाजार, इतवारा बाजार, सर्राफा बाजार, समेत कटरा बाजार में स्थिति तनावपूर्ण बनी रही। कुछ जगह तोड़फोड़ की शिकायतें भी मिली। जिले के सभी 32 थानों के टीआई समेत रिजर्व पुलिस बल मार्च करता रहा। देर शाम जैन समाज ने प्रेस कान्फ्रेंस कर स्पष्ट कर दिया कि तोड़फोड़ से जैन समाज का कोई संबंध नहीं, तथा जांच कर सभी अराजक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई हो। विधायक शैलेन्द्र जैन जी ने भी मामले को शांत करने के लिये जैनों को हिंदू ही बता कर जैन समाज के खिलाफ ही मानो बयान दे दिया।

समझौते में जैनों को देना पड़ा सब :
सोमवार शाम को बड़ी बैठक हुई। जैन समाज के सामने जैसे सब ही पहुंच गये। क्षेत्रपाल मंदिर को गैड़ बाबा का मंदिर बता दिया और वही पर 711 फीट जगह देने पर समझौता हुआ। समझौते में बैठे जैन पंचायत के पूर्व अध्यक्ष महेश बिलहरा ने चैनल महालक्ष्मी को बताया कि शनिवार की घटना से पहले जड़िया समाज से हमारी बात लगभग फाइनल हो गई थी, तब मंदिर शिफ्ट करना और 600 फीट जगह देनी थी, पर अब 711 फीट वहीं पर देने की मजबूरी आई, फिर भी 58 हजार फीट में से इतनी ही हमारी जमीन गई, पर शांति से हल किया गया। उन्होंने यह भी बताया कि उसके बाद वह घायल व्यक्ति को देखने अस्पताल भी गये, और दोनों समाज तीन पीढ़ी से साथ रह रहे हैं, पर तीसरे लोगों ने मौके का लाभ उठाकर तोड़फोड़ और अराजकता पैदा की। पूर्ण जानकारी चैनल महालक्ष्मी के एपिसोड न. 3084 में देख सकते हैं।

चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी चिंतन :
1. सागर मामले ने स्पष्ट कर दिया कि जैन समाज जब-जब अपने मंदिरों की सुरक्षा से नजर हटा लेगा, उस पर कब्जा करने में देर नहीं लगेगी।
2. तकलीफ के समय शासन, प्रशासन जैनों का साथ नहीं देगा।
3. जैनों पर एफआईआर हुई, गिरफ्तारी भी हुई, पर जो तलवार, लाठियां लेकर आयें, पत्थर बरसायें, उन पर किसी ने आंख नहीं उठाई।
4. अनेक जैन दुकानों -मकानों को क्षतिग्रस्त किया गया, उसकी भरपाई करने की कोई पहल नहीं।
5. समझौते की आड़ में अतिक्रमण-अवैध कब्जे भी वैध कर लिये जायेंगे और दबाव भी बनाकर, जैनों को दोषी और कमजोर ठहरा दिया जाएगा।
6. अल्पसंख्यक समाज, सुरक्षा की मांग जैसी बातें बेमानी हो जाती हैं।