जिसने बचाई पत्नी की जान – 100 करोड़ की भूमि पर बना तीर्थ, दे दिया दान, ॰ बहुत चमत्कार होते रहे उस तीर्थ पर, फिर भी…

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॰ 350 वर्ष प्राचीन अतिशय तीर्थ सौंप दिया मुनि श्री सुधा सागरजी को
॰ जिस तीर्थ पर मुनि श्री गृहस्थ अवस्था में करते थे पूजा, अब उनको ही सौंप दिया पूरा तीर्थ
19 सितंबर 2024/ अश्विन कृष्णा दौज /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन /
मुनि पुंगव श्री सुधा सागरजी का चातुर्मास हो, और उसमें कोई बड़ा धमाका ना हो, ऐसा नहीं देखा और ‘सागर’ का चातुर्मास आज तक यूं ही शांत कैसे गुजर रहा, क्या यह अपवाद बनेगा? नहीं, ऐसा नहीं हुआ और पर्युषण की शुरूआत से पहले हो ही गया धमाका।

सागर के पुराने एरिया में शहर के बीचो बीच सर्राफा बाजार में पौन एकड़ में बना बरियाधाट का आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, दो जिनालयों की स्थापना 1741 ई. में पूर्वज नंदजू मोदी व अन्य परिजन के द्वारा की गई, इस समय मोदी परिवार की नौवी पीढ़ी चल रही है। तब से मोदी परिवार इसकी देखरेख, संचालन कर रहा है। अब इसका संचालन व देखरेख के अपने अधिकार को शपथ पत्र द्वारा मुनि पुंगव श्री सुधा सागरजी को दे दिया। इसके लिये मोदी परिवार के आनंद, सुभाष चंद, नवीन, स्वदेश, अतुल, सुमीत, अमित, अर्पित, संकेत, जयवर्धन, सुभाष, हिमांशु आदि पूरा परिवार पहुंचा मुनि श्री के पास और इसकी घोषणा कर दी।

चैनल महालक्ष्मी ने इस बारे में इन जिनालयों की देखरेख कर रहे सुमीत मोदी जी से लम्बी चर्चा की और उन्होंने कई ऐसी जानकारी दी, जो किसी को भी हैरत में डाल देंगी।
सुमीत जी ने कहा कि ये बड़े अतिशयकारी चमत्कारी मंदिर हैं। वहां आकर कोई भी अपने मन की भावना रखता है और वो जल्द पूरी हो जाती है। कोई 5 तो कोई 10 श्रीफल चढ़ाता है और अनेकों को स्वयं आते देखा है। मोदी परिवार तो इससे अछूता नहीं है। उन्होंने अपनी पत्नी का भी एक अनुभव साझा किया, जब इनकी कृपा से उनकी पत्नी मानो मौत के मुंह से वापस आई। अनेक लोग हर हफ्ते आते हैं, श्रीफल चढ़ाते हैं। आज मोदी परिवार के सामने जब भी कोई समस्या आती है, तो बड़े बाबा का मन से नाम लेता है, श्रीफल चढ़ाता है और घर आते-आते रास्ता मिल जाता है।

आखिर नवींं पीढ़ी में अचानक यह तीर्थ दान देने का विचार कैसे आया, पिछली पीढ़ी कैसे मान गई? इस पर उन्होंने कहा कि हमने ही पीढ़ी को समझाया। मुनि पंगुव श्री सुधा सागरजी कहते आ रहे थे कि किसी भी निजी मंदिर की व्यवस्था तीसरी पीढ़ी के बाद निजी नहीं होना चाहिये, समाज को सौंप देना चाहिये, वरना उस परिवार का डाउनफाल हो जाएगा। हमारे साथ भी हुआ। सौ साल पहले के अनुभव उन्होंने सान्ध्य महालक्ष्मी से शेयर भी किये। उनका प्राइवेट बैंक था, जब राजा बिलहरा के यहां कार थी,तब उनके यहां भी दो कार थीं। वैसे जीवन में उतार – चढ़ाव चलता ही रहता है। हमारा पूरा परिवार महाराज की हर बात सुनते हैं, मानते हैं, तो हम सबने सोचा कि हमें समाज को ही सौंप देना चाहिये।

इनके चाचा पिछले 60 साल से सुबह 5 बजे मंदिर जाते हैं और 11 बजे लौटते हैं। दादी ने पहले मंदिर के आगे-पीछे सबकी हुंडिया ले ली, जिससे यह मंदिर की व्यवस्था अपने आप बनी रहे। अब वो भी महाराजजी को सौंप दी।

उन्होेंने बताया कि मुनि श्री जब गृहस्थ अवस्था में थे, तब इसी मंदिर में पूजा-अभिषेक करते थे, और दीक्षा के बाद जब भी इधर आते, तो उस मंदिर के दर्शन जरूर करते, समायिक भी करते। इस बार उनका चातुर्मास सागर में हो रहा है। इस कारण ही यह बात संभव हो पाई।

शहर के बीचों बीच व्यवसायिक रूप से यहां की जमीन की लगभग सौ करोड़ रुपये कीमत है, पर जिनालय का कभी मूल्य नहीं आंका जाता, वह तो अमूल्य है, यह खुलासा भी किया सुमीत मोदी जी ने।
जिज्ञासा समाधान के कार्यक्रम में इस पर मुनि पुंगव श्री सुधा सागरजी ने कहा कि आज के बाद मोदी परिवार का उन मंदिर पर कोई अधिकार नहीं रहेगा। जो उसके सदस्य हैं, उन्हें कमेटी में लूंगा, वो सब मैं करूंगा। आज से वे उसे सकल दिगम्बर समाज के रूप में समर्पित कर रहे हैं मुझे।

निर्यापक श्रमण जी ने कहा कि आज वो दिन आ ही गया, जब अब तक के चातुर्मास ऐतिहासिक हुये, तो सागर का भी चातुर्मास आज ऐतिहासिक बन गया। यहां का एक प्राचीन तीर्थ और उसके साथ बड़ा स्थान, मोदी परिवार द्वारा जो स्थापित था, वो बरियाधाट का जिनालय राजी खुशी से मुझे सौंप दिया है। बातों में नहीं, पूर्व लिखा-पढ़ी कराकर सौंपा है, क्योंकि आजकल के लोगों को भरोसा नहीं। शहर के बीच में दो मंदिर हैं। अगर ये आज नहीं देते, तो पता नहीं उन मंदिरों की सुरक्षा हो पाती या नहीं। अब में विहार करूंगा उस मंदिर में। सागर की समाज परम भक्त समाज है, पूरा सागर कह रहा था कि विपरीत स्थितियों में यहां चातुर्मास हो रहा है, अब वे परम भक्त नगर में हो रहा है। इस मंदिर के ट्रस्ट में सागर ही नहीं, पूरे भारत के ट्रस्टी बन सकेंगे। उसके लिये मैं कुछ नियम बनाऊंगा, बस उसे दिगम्बर जैन होना चाहिये।

इस बारे में पूरी जानकारी चैनल महालक्ष्मी के एपिसोड नं. 2842 में देखें।