किस जैन साध्वी को 86वें जन्म दिवस की पूर्व संध्या पर हुआ इस बार पदम् श्री सम्मान का एलान और वो हैं जैन धर्म जगत में आचार्य पद प्राप्त करने वाली प्रथम साध्वी

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50 वर्षों से बिहार में मानव सेवा कर रही हैं महाराष्ट्र की आचार्य चंदना जी, मिला पद्मश्री सम्मान
राजगीर वीरायतन की संस्थापक आचार्यश्री चंदना जी महाराज का पद्मश्री अवार्ड के लिए चयन किया गया है।

वे जैन धर्म जगत में आचार्य पद प्राप्त करने वाली प्रथम साध्वी हैं। दिव्य व्यक्तित्व की स्वामिनी 84 वर्षीया चंदनाजी लगभग 50 साल से लोगों की सेवा कर रही हैं। 1972 में राजगीर में अपना मानवीय कार्य शुरू किया। उन्होंने राजगीर में वीरायतन की स्थापना पूज्य गुरुदेव उपाध्याय अमर मुनिजी महाराज की प्रेरणा से की। वीरायतन की 1974 में स्थापना के बाद नेत्ररोगियों की चिकित्सा सेवा में जुट गईं।

वीरायतन की संस्थापिका आचार्य चंदना श्री जी को उनके 86वें जन्म दिवस की पूर्व संध्या पर पद्मश्री पुरस्कार देने का ऐलान भारत सरकार ने किया है। चंदनाजी का जन्म 26 जनवरी 1937 को महाराष्ट्र के चास्कमन गांव में एक कटारिया परिवार में हुआ था। उनकी मां प्रेम कुंवर और पिता मानिकचंद ने इनका नाम शकुंतला रखा था। इन्होंने तीसरी कक्षा तक औपचारिक शिक्षा ग्रहण की। इनके नाना ने उन्हें जैन साध्वी सुमति कुंवर के अधीन दीक्षा लेने के लिए मना लिया। चौदह वर्ष की आयु में ही इन्होंने जैन दीक्षा ली और साध्वी चंदना बन गई। उन्होंने जैन धर्मग्रंथों, जीवन के अर्थ और उद्देश्य और विभिन्न धर्मों का अध्ययन करने के लिए बारह साल का मौन व्रत किया।

उन्होंने भारतीय विद्या भवन, मुंबई से दर्शनाचार्य की उपाधि प्राप्त की। पराग से साहित्य रत्न; और पाथर्डी धार्मिक परीक्षा बोर्ड से मास्टर डिग्री भी ली। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से चंदनाली ने नव्या-न्याय और व्याकरण के विषयों में शास्त्री की उपाधि प्राप्त की । 1972 में, चंदनाजी ने भारत के बिहार राज्य में अपना मानवीय कार्य शुरू किया। जैन धर्म के सिद्धांतों पर आधारित एक धार्मिक संगठन वीरायतन की स्थापना 1974 में चंदनाजी ने बिहार में की थी। यह एक अंतरराष्ट्रीय धर्मार्थ संगठन है जो आध्यात्मिक विकास, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और जाति, पंथ, नस्ल या लिंग के भेदभाव के बिना दूसरों की सेवा करता है।

प्रमुख काम
27,65,164 लोगों का निःशुल्क नेत्र चिकित्सा ,3,40,198 नेत्र रोगियों के आंखों का निःशुल्क ऑपरेशन ,अनेकों पिछड़े इलाकों में स्कूल कॉलेज की स्थापना ,व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से हजारों को स्किल्ड कर स्वरोजगारी बनाना। ,भूकम्पग्रस्त कच्छ गुजरात में बच्चों के लिए 10 अस्थायी स्कूल ,कच्छ में पहला फार्मेसी डिग्री कॉलेज की स्थापना ,पर्यावरण जागरुकता के लिए काम ,अमेरिका में सर्वोदय तीर्थ की स्थापना। ,देश विदेश में अनेकों आध्यात्मिक केंद्र की स्थापना।