शेष सभी 23 तीर्थंकरों के सामूहिक तप से भी दो गुना तप किया प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभदेव जी ने

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15 फरवरी 2023/ फाल्गुन कृष्ण दशमी/चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
फागुन कृष्ण एकादशी, इस वर्ष 16 फरवरी को है, यह पावन दिन, जब हमारे प्रथम तीर्थंकर के 1000 वर्ष के छदमस्त काल के बाद , यानी तप से केवल ज्ञान के बीच के समय , अर्थात 1000 वर्ष के कठोर तप के बाद केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

पूरीमतालपुर नगर के शकटास्य उद्यान में वटवृक्ष के नीचे पूर्वाहन काल में , प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभदेव जी को केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई। उनके 1000 वर्ष का तप काल, शेष सभी 23 तीर्थंकरों के तप समय के कुल जोड़ से भी ,दोगुना से भी ज्यादा रहा।

12 योजन का समोशरण कुबेर ने रचा, यानी 144 किलोमीटर विस्तार वाला । आपके 84 गणधर थे, आपका केवली कॉल 1000 वर्ष कम , 1,00,000 पूर्व वर्ष का रहा।

बोलिए, प्रथम तीर्थंकर के केवलज्ञान कल्याणक की जय जय जय।