कोरोना से लड़ते हुए ज्योतिषाचार्य, वर्तमान गच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री ऋषभचंद्रसूरीश्वरजी म.सा का देवलोक गमन

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ज्योतिषाचार्य, वर्तमान गच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री ऋषभचंद्रसूरीश्वरजी म.सा का 2 जुन 2021, देर रात 1:44 बजे इंदौर अरवीन्दो हास्पिटल में जीवन के 62 वर्ष पूर्ण कर देवलोक गमन हो गया है, विधि के विधान आगे हम सभी नत-मस्तक है,, उनके पार्थिव देह को मोहनखेड़ा ले जाया जा रहा है,

मालवा के प्रसिद्ध मोहनखेड़ा तीर्थोद्धारक, मानवता के मसीहा, जीवदया प्रेमी व ज्योतिष सम्राट आचार्य देवेश श्रीमद् विजय ऋषभ चंद्र सूरी (बाबजी) भौतिक देह का त्याग कर महाप्रयाण कर गए। लाखों भक्तों के ह्रदय में बसने वाले बाबजी का अनायास अनंत यात्रा की ओर जाना हर किसी को व्यथित कर गया। उनके प्राणों की रक्षा के लिए प्रत्येक अनुयायी कामना रत थे। लेकिन विधि को कुछ और ही मंजूर था।

आध्यात्मिक ऊर्जा व असीम शक्ति के केंद्र बाबजी से बिछुड़न का यह पल आंखों को भिगो रहा है। अपने जन्म दिवस से एक दिन पहले ही उनकी दिव्या आत्मा ने अनंत यात्रा शुरु कर दी। ऋषभ बाबजी का उज्जैन से अटूट नाता रहा है। साल 2015 का चातुर्मास उन्होंने भैरवगढ़ उज्जैन की पावन भूमि पर किया था। जिसकी कभी ना भूल पाने वाली स्मृतियां हजारों समाजजनों के जहन में विद्यमान है। तब उन्होंने भूत भवन बाबा महाकालेश्वर के मंदिर पहुंचकर पूजन किया था।

जैसे ही उन्हें ज्ञात हुआ कि गर्भगृह में चांदी का कार्य चल रहा है उन्होंने 11 किलो चांदी ट्रस्ट की ओर से देने की घोषणा की। वर्षावास पूर्ण होने के बाद अबे प्रेस क्लब के आग्रह पर तरणताल स्थित भवन भी पहुंचे। यहां पत्रकारों को आशीर्वचन देने के साथ उन्होंने कक्ष निर्माण के लिए राशि देने की भी घोषणा की। सरल, सह्रदय उदारमना बाबजी ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए मोहनखेड़ा तीर्थ में 300 बेड का सुविधा युक्त कोविड केयर सेंटर भी चालू किया था। जो उनकी मानवतावादी सोच की परिचायक है। लेकिन इसी बीमारी ने उन्हें भी काल का ग्रास बना लिया।

राजगढ़, धार एवं झाबुआ जिले के रहवसी तो उन्हें मसीहा की संज्ञा देते हैं। उच्च स्तर के राजनेताओं की बात हो या आला अधिकारियों से कोई काम उनके लिए कुछ भी असंभव नहीं था। बाबजी जहां जैसा आदेश कर दें उसकी पालना सुनिश्चित हो जाती थी। ऐसे कई किस्सों का मैं प्रत्यक्ष गवाह रहा हूं। हाल ही में वे गुजरात के गिरनार तीर्थ की यात्रा कर मोहनखेड़ा लौटे थे। मोहनखेड़ा की पावन धरा पर ही उनकी पार्थिव देह पंचतत्व में विलीन होगी।

अनेक विशेषताओं से भरे परम उपकारी गुरुदेव के श्री चरणों में कोटि-कोटि वंदना एवं नम आंखों से भावपूर्ण श्रद्धांजलि। उनके देहावसान के साथ ही मानो एक युग का भी अंत हो गया।

राहुल कटारिया,उज्जैन