जैन समाज की धार्मिक आस्था एवं सिद्धांतों पर प्रहार का जैन समाज की एकता से जवाब देना समय की आवश्यकता है। रविवार 21 मार्च को शहीद स्मारक, खासा कोठी एमआई रोड, जयपुर पर सभी को शामिल होना है,
जैन समाज के प्रमुख पर्व महावीर जयंती (जन्म कल्याणक) पर रीट परीक्षा आयोजित करना जैन धर्म की आस्था एवं सिद्धांतों पर प्रहार है,
जैन समाज के सबसे बड़े पर्व एवं किसी भी राष्ट्रीय अवकाश पर आज तक कभी कोई परीक्षा की तिथि नहीं रखी गई है। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने रीट की परीक्षा की तिथि महावीर जयंती के दिन 25 अप्रैल को घोषित कर न केवल जैन समाज के बेरोजगार युवाओं बल्कि जैन धर्म के अनुयायियों की आस्था के साथ भी खिलवाड़ किया है।
प्रदेश के इतिहास में यह पहली और एकमात्र घटना है, जब किसी समाज के युवाओं को जानबूझकर अवसरों से वंचित रखा जा रहा है, उल्लेखनीय है कि किसी भी धर्म के मुख्य पर्व के अवकाश के दिन कभी भी कोई प्रतियोगी परीक्षा आयोजित नहीं की जाती है, महावीर जयंती के दिन रीट परीक्षा आयोजित किए जाने से जैन समाज में भारी आक्रोश है और उनकी धार्मिक आस्था एवं भावनाएं आहत हो रही है।
जब ईद की छुट्टी के कारण परीक्षा की तारीख बदल सकती है तो महावीर जयंती के कारण क्यो नहीं। क्या राजस्थान सरकार को जैन समाज की परवाह नही है।
जैन समाज की सभी प्रमुख संस्थाएं मुख्यमंत्री जी को महावीर जयंती 25 अप्रैल रविवार के स्थान पर अन्य किसी दिन रीट परीक्षा को आयोजित करने हेतु ज्ञापन दे चुकी हैं लेकिन शायद सरकार यह समझती है कि हम जैन संख्या बल में कम हैं और हम बिखरे हुए एवं असंगठित है, इसलिए वह पूरे जैन समाज का राजनीतिक दृष्टि से महत्व नहीं समझकर, वह हमारे धर्म एवं हमारे प्रमुख धार्मिक पर्व का सम्मान नहीं कर रही है।
अब समय आ गया है कि जैन समाज के प्रति तिरस्कार का भाव रखने वाली सरकार को एकजुटता का अहसास करवा दें कि भले ही जैन समाज अपने किसी व्यक्ति को अपने दम पर जीता नहीं सकता हैं लेकिन हमारा जैन समाज किसी की जीत और किसी की हार के अंतर का कारण जरूर बनते हैं, इसी बात का अहसास करवाने के लिए हम रविवार 21 मार्च को शहीद स्मारक, खासा कोठी, एमआई रोड पर होने वाले सामूहिक उपवास व धरने में आपकी संस्था, मंदिर आदि के पदाधिकारियों, श्रेष्ठियों सहित आपकी ज्यादा से ज्यादा उपस्थिति समाज की एकता को दर्शाने एवं प्रदर्शन करने के लिए अपेक्षित है ताकि कोई भी सरकार किसी भी धर्म विशेष के त्यौहार के दिन का सम्मान करने के लिए बाध्य हो।