14 सितम्बर दिन मंगलवार : शिखरजी में सुप्रभ कूट पर तीर्थंकर श्री पुष्पदन्त जी का मोक्ष कल्याणक

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आज का पावन दिन उत्तम सत्य का और साथ ही खास अष्टमी , अरण स्वर्ग से इस भरत क्षेत्र की काकांदी नगरी में जन्मे 9वें तीर्थंकर श्री पुष्पदंत जी ने आज ही के दिन यानि भाद्रपद शुक्ल अष्टमी को मोक्ष प्राप्त किया था.

2 लाख वर्ष पूर्व की आयु और 100 धनुष ऊँचा कद यानि ६०० फुट ऊँचा. उल्कापात को देखकर आपके भीतर वैराग्य भावना बलवती हुई और फिर 4 वर्ष तप कर केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई. एक लाख पूर्व, २८ पूर्वांग वर्ष का केवली काल और फिर भाद्रपद शुक्ल अष्टमी को अपरान्ह काल में खड्गासन मुद्रा में पावन तीर्थ श्री सम्मेद शिखर जी की सुप्रभ कूट से 1000 महामुनिराजो के साथ एक समय में सिद्धालय पहुँच गए.

इसी कूट से एक करोड़ 90 लाख 480 महामुनिराज भी मोक्ष गए हैं. इस टोंक की निर्मल भावों से वंदना करने से एक करोड़ उपवास का फल मिलता है .

आपका तीर्थ काल पाव पल्य कम 9 करोड़ सागर, 28 पूर्वांग वर्ष रहा, जिसमे धर्म विच्छेद पाव पल्य वर्ष रहा. धर्म विच्छेद यानि चतुर्विध ( मुनि, आर्यिका, श्रावक, श्राविका) संघ का नहीं होना.

बोलिये तीर्थंकर श्री पुष्पदंत भगवान की जय-जय-जय