कभी-कभी ऐसी अनहोनी होती है, कि आश्चर्य होता है। इस फाल्गुन माह के 11 दिनों में 15 कल्याणक आ रहे हैं। रविवार 20 फरवरी को फागुन कृष्ण चतुर्थी को छठे तीर्थंकर पदमप्रभु जी के मोक्ष कल्याणक से इसकी शुरूआत हो चुकी है। यानि पहले छठे, फिर 7वें सुपार्श्वनाथ, फिर 8वें चन्द्रप्रभु का कल्याणक आया, अब शुक्रवार 25 फरवरी को नवें तीर्थंकर पुष्पदंत स्वामी का गर्भकल्याणक आ रहा है। यानि तीर्थंकरों के क्रमानुसार कल्याणक आ रहे हैं, चार तीर्थंकरों के, ऐसा पूरे वर्ष में और कहीं नहीं देखने को मिलता।
यही नहीं, तीन दिनों में 5 कल्याणक भी क्रम से आये हैं, 25 को गर्भ कल्याणक , 26 को जनम, तप और ज्ञान कल्याणक तथा 27 को मोक्ष कल्याणक- ऐसा संयोग बिना ब्रेक पहली बार हुआ
पूर्व पर्याय में पुष्कलावती देश के पुण्डरीकिणी नगर के राजा महापदम के रूप में सोलह कारण भावनाओं से तीर्थंकर प्रकृति का बंध कर आरण स्वर्ग में देव हुए। वहां अपनी आयु पूर्ण कर काकंदी नगरी में महाराज सुग्रीव की महारानी जयरामा देवी के गर्भ में जिस दिन आप आये वह दिन था फाल्गुन कृष्ण नवमी जो हम वर्ष 25 फरवरी को है।
आपके गर्भ में आने के 6 माह पूर्व से ही सौधर्म इन्द्र की आज्ञा से कुबेर ने राजा सुग्रीव के राजमहल पर दिन के तीनों पहर – सुबह, दोपहर, शाम, हर बार साढ़े तीन करोड़ रत्नों की वर्षा शुरू कर दी थी। आपकी आयु दो लाख पूर्व वर्ष थी, कद 600 फुट था और काया का रंग पूनम के चांद से भी ज्यादा श्वेत।
बोलिये नवें तीर्थंकर श्री पुष्पदंत जी के गर्भ कल्याणक पर्व की जय-जय- जय।