5 दिसंबर : जन्म-तप कल्याणक – 600 फुट ऊंचे महाराजा, जो उल्कापात देखकर तुरंत तप को चले दिये और बन गये तीर्थंकर

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आरण स्वर्ग में अपनी आयु पूर्ण कर, 8वें तीर्थंकर श्री चन्द्रप्रभु जी के 90 करोड़ सागर बीत जाने के बाद काकंदी के महाराज सुग्रीव की महारानी जयरामा देवी के गर्भ से मंगसिर शुक्ल एकम (इस वर्ष 05 दिसंबर को है) के राजमहल में जन्म लिया। उस दिन तक उनके इस धरा पर मानो शुभ संकेत करता हुआ, कुबेर 15 माह तक रोजाना सुबह-दोपहर-शाम साढ़े तीन रत्नों की बारिश करता रहा, यानि उनके जन्म तक।

आपका रंग दूध से भी जगमग सफेद, हजारों चन्द्रमा की सफेदी को फीका करता आपका श्वेतवर्ण। कद था पूरा 600 फुट ऊंचा उत्तंग, और आयु दो लाख वर्ष पूर्व, अब आप मात्र दो लाख को मत देखिये, उसके पीछे लिखा है पूर्व और एक पूर्व होता है, 84 लाख पूर्वांग के बराबर और एक पूर्वांग 84 लाख वर्ष के बराबर यानि 84 लाख ७ 84 लाख ७ 2 लाख वर्ष। इनका गुणांक आपके केलकुलेटर में भी नहीं आएगा, इतनी उम्र थी, उन 9वें तीर्थंकर श्री पुष्पदंत भगवान की।

50 हजार वर्ष 28 पूर्वांग, राज्य करने के बाद एक दिन राजमहल की छत से आवास में उल्कापात को देखा और उसी क्षण यह संसार निसार लगने लगा। और फिर उसी मंगसिर शुक्ल एकम को सूर्यप्रभा पालकी में बैठ दोपहर को पहुंच गये पुष्पक वन में। आपके इस कदम को देख एक हजार और राजा भी दीक्षा को प्रेरित हो गये। पंचमुष्टि केशलोंच कर नाग वृक्ष के नीचे तप में लीन हो गये।

आपने 4 वर्ष कठोर तप किया, उसके बाद केवलज्ञान की प्राप्ति हुई। आपका केवलीकाल एक लाख पूर्व 28 पूर्वांग 4 वर्ष रहा। अपने जीवन का आधे से भी ज्यादा, जो सभंवत: किसी भी अन्य तीर्थंकरों से बड़ा केवली काल है।

05 दिसंबर को आ रहे 9वें तीर्थंकर श्री पुष्पदंत जी के जन्म-तप कल्याणक की जय – जय – जय।
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