उल्कापात से वैराग्य और फिर 4 वर्ष का कठोर तप करने के बाद केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई नोवे तीर्थंकर श्री #पुष्पदंत भगवान को

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25 अक्टूबर 2022/ कार्तिक कृष्णा अमावस /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
प्राणत स्वर्ग में जब इंद्र की माला ने जिस दिन मुरझाना शुरू किया, उसी समय सौधर्मेंद्र ने काकंदी नगरी में महाराजा सुग्रीव के महल पर दिन के तीनों पहर कुबेर को साढ़े तीन करोड़ रत्नों की वर्षा का निर्देश दिया । स्पष्ट था कि 6 माह बाद नोवे तीर्थंकर के रूप में महारानी जयरामा के गर्भ में प्रवेश करेंगे और मार्गशीर्ष शुक्ल प्रतिपदा को उनका जन्म होता है। दिन पर दिन बढ़ते बढ़ते जब एक दिन वह प्रकृति के सौंदर्य का रसपान कर रहे थे , तभी अकस्मात उल्कापात हुआ ।

संसार में रहकर भी जो संसार से पृथक थे उनके लिए यह साधारण लगने वाली घटना प्रेरक बन गई । वह विचार मगन हो गए कि यह उल्का नहीं है , अपितु मेरे अनादि काल के महामोह रूपी अंधकार को दूर करने वाली दीपिका है। इससे उन्हें बोधि प्राप्त हुई और तभी उन्होंने वैराग्य का मन बना लिया। अपने पुत्र सुमति को राजपाट सौंप कर 1000 राजाओं के साथ दीक्षा ले ली ।

4 वर्ष की कठोर तपस्या के बाद वह दिन आया , कार्तिक शुक्ल द्वितीया, जो इस वर्ष 27 अक्टूबर को है । उसी दिन सांय काल के समय मूल नक्षत्र में 2 दिन का उपवास लेकर , नाग वृक्ष के नीचे बैठ गए और उसी दीक्षा वन में घातिया कर्मों को निर्मूल करके अनंत चतुष्टय को प्राप्त किया।

तब इंद्र ने आकर तीर्थंकर के केवल ज्ञान की पूजा की और सम शरण की रचना हुई। उस दिन तीर्थंकर के मुख से दिव्य ध्वनि प्रकट हुई। चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी के साथ बोलिए नोवे तीर्थंकर श्री पुष्पदंत जी के ज्ञान कल्याण की जय, जय , जय।