राष्ट्रपति, श्री रामनाथ कोविंद जी विनम्र अनुरोध श्री महावीर जयंती के रूप में शुभकामनायें व आशीष नहीं दीजिए. भूल का सुधार हो

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2 अप्रैल 2022//चैत्र शुक्ल एकम /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/

अनुरोध राष्ट्रपति महोदयजी आपसे भी है , देख रहे हैं ना, , जैन धर्म संरक्षण महासंघ के महामंत्री होने के नाते, देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व अनेक राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी अपील की है कि आप विभिन्न पर्वों पर शुभकामना संदेश देते आ रहे हैं । पर इस बार, 14 अप्रैल , चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को, आप महावीर जयंती की शुभकामनाएं नहीं दीजिए , बल्कि अहिंसा और जियो और जीने दो , नारा देने वाले, श्री महावीर स्वामी के 2621 वे जन्म कल्याणक के पावन अवसर की , शुभकामना और आशीष दीजिए।

जैन समाज भी, चाहे सोशल मीडिया पर, चाहे कोई बैनर हो , आमंत्रण कार्ड हो , पोस्टर हो, ब्रोशर हो , कार्ड हो या शुभकामनाएं देते हो । किसी भी रूप में , जयंती नहीं , इसे महावीर स्वामी जन्म कल्याणक के रूप में पुकारे, लिखें और बोलें । अगर हमने इस पर्व से इतना ही सीख लिया, तो हमारा यह जन्म कल्याणक मनाना सार्थक हो जाएगा । चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी, आप सभी से विनम्र अनुरोध करता है और इसके लिए, हमारे द्वारा जारी , कई तरह की पोस्टों को सब तक पहुंचाने का विनम्र अनुरोध भी करता है ।

महामहिम राष्ट्रपति महोदय,
सादर जय जिनेन्द्र

आपके द्वारा हर पर्व पर भारतीयों का शुभकामना संदेश दिये जाते रहे हैं। इसी कड़ी में आगामी 14 अप्रैल को, चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को, आपके द्वारा 24वें जैन तीर्थंकर श्री महावीर स्वामी के 2621वें जन्म कल्याणक के अवसर पर भी उनके अहिंसा-जियो और जीने दो आदि शिक्षाओं के लिए शुभकामना संदेश देंगे। वैसे यह निर्णय आपका है, पर आप से सादर विनम्र अनुरोध है कि यह पर्व श्री महावीर जयंती नही श्री महावीर जन्म कल्याणक होता है।

निश्चय ही महापुरुषों की जयंतियां मनायी जाती हैं, पर तीर्थंकरों के कल्याणक मनाएं जाते हैं। शास्त्रानुसार तीर्थंकरों के पाँचों कल्याणक, गर्भ, जन्म, तप, केवल ज्ञान व मोक्ष के समय स्वर्ग में सौधर्म इन्द्र के साथ अनेक देव आते हैं मनाने के लिए। आप पूर्ण जानकारी रखते हैं, पर कई बार भूल हो जाती है।

इसीलिए, विनम्र अनुरोध है कि इस बार उस भूल को सुधार करते हुए श्री महावीर स्वामी के 2621वें जन्म कल्याणक की शुभकामनाएं व आशीष दीजिए।

अपनी सीमा उल्लंघन के लिए हृदय से क्षमा