आरा, आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी ने प्रवचन मे कहा
ज्ञानी चूना तो सफेद ही है लेकिन उस व्यक्ति को पीलिया रोग हो गया इसलिए उसको चूना पीला दिख रहा है
ऐसे ही सच्चे देव में देव ना दिखे सच्चे शास्त्र में शास्त्र ना दिखे सच्चे गुरु में गुरु ना दिखे तो हमारे देव शास्त्र गुरु में दोष नहीं आ गया उसकी बुद्धि में दोष है उसको पाण्डु रोग हो गया है
है मित्र कुछ ऐसे पुण्य क्षीर्ण लोग होते है जिनको दूध देखकर उल्टी हो जाती है अब वो कहे दूध खराब होता है अरे दूध खराब होता तो तीर्थंकर खीर ना खाते
भगवान ऋषभदेव को छोड़कर 23 तीर्थंकरों ने दूध की खीर खाई है बेटा खीर तीर्थंकरों ने खाई है, अब ऐसे पुण्यहीन लोग आ जाए कि हमको उल्टी हो जाती है हम दूध नहीं खा सकते, हमें दुर्गन्ध आती है, अरे दूध में दुर्गन्ध नहीं है तेरे भाग्य में में दुर्गन्ध है
ऐसे ही किसी जीव को सच्चे वीतरागी गुरु को देखकर करके नाक सिकुड़ती हो, तो गुरु में दुर्गन्ध नहीं आ गई ,उसकी नाक मे रोग हो गया है
–वैभव बडामलहरा & अनुराग