अच्छे मां-बाप बनना हो तो पहले हमें दुर्गुण छोड़ने होंगे। छह महीने पहले मंदिर जाओ। सारे परिवार को बैठाओ, शर्म की बात नही जब बरात में सब गये थे तो सब को बुला कर कहना हमें कुलदीपक चाहिये और गाजे बाजे के साथ मंदिर जाना और जैसा बेटा-बेटी चाहिये और उसमें क्या दुर्गुण नही होना चाहिये तो उन दुर्गुणों को छोड़ने पड़ेंगें। कैसा बेटा चाहिये उसमें क्या दुर्गुण नही होना चाहिये उसकी पहले लिस्ट बनाइये और उन सब दुर्गुणों को त्याग मंदिर में करके आओ। फिर दोनों संयम पूर्वक, धर्म चर्चा, कथायें, अभक्ष्य का त्याग तभी से संकल्प लें। देवता यह सब गर्भ से छह महीने पहले इसी तरह कि तीर्थंकर माता की सेवा, खाना, कथा, धर्म इत्यादि करती रहती है। तब परिवार के अन्य सदस्यों का इसी तरह उस महिला का ध्यान रखना चाहिये।
इस तरह से अपने बच्चों के लिये ऐसे तैयारी करे कि उस होनहार मेहमान का इस तरह स्वागत करें फिर अपने कर्म को भी परखना, आपको क्या मिलता है। लेकिन सच्चा पुरुषार्थ सफल होता है। आजकल लव मैरिज नही लौ मैरिज चल रही है। जब साथी मनपसंद लूंगा तो बेटा मनपंसद क्यों नही लेना चाहते। महान आत्मायें चुपचाप नही आते संकेत, शुभशकुन देकर आते हैं, चोर, डाकू चुपचाप आते हैं। बेटा ऐसा होनहार होना चाहिये जो परिवार का पालनहार ही न बने बल्कि संसार का पालनहार बने। चेलना का दोहला कुणक के प्रति जो बाप को दुख देने वाला अशुभ शकुन जैसे भी आते हैं और मरुदेवी तीर्थंकर की माता को सोलह स्वप्न शुभ संकेत देकर और गुणों को प्रदर्शित करने जैसे भी आते हैं। आज का बेटा आप पर गर्व करे, कुल पर गर्व करे यह तभी संभव है जब मां-बाप इसकी अच्छी तैयारी करेंगे।