बोलने से तो ऐसा लगता हैं जैसे कोई सामान्य सी बात हैं मगर जब उसे क्रिया रूप परिणित करने की बात आती हैं तो शायद लाखों में एक निकलेंगे इस क्रिया को करने वाले,, प्रतिमायोग जी हां किसी प्रतिमा की तरह लगातार कुछ देर नही कुछ घंटे नही बल्कि पूरे दो दिन तक बैठने वाले मुनि श्री संधान सागर जी महाराज के लिये यह एक सहज क्रिया हो गयी हैं और यह सब सम्भव हुआ हैं एक श्रेष्ठ साधक के शिष्य होने से,,,
आचार्य गुरुदेव विद्यासागर जी महाराज ने जब मुनि संधान सागर जी को दीक्षा के संस्कार दिए तो उन्होंने उन्हें साधना और शिक्षा भी दी इसी शिक्षा और साधना को विस्तार देते हुए उन्होंने पूर्व में खजुराहों में भी 48 घण्टे का प्रतिमा योग धारण किया था और बीते हुए कल पुनः गुरु शरण मे गुरु चरण के आशीर्वाद से नेमावर में पद्मासन मे बैठ कर 48 घंटे का प्रतिमायोग धारण किया हैं
एक सामान्य मनुष्य लगभग एक घण्टे भी स्थिर अवस्था मे नही बैठ सकता इस बात का मैने स्वयं अनुभव किया हैं कोई कितना ही प्रयास करें तो दो तीन घंटे फिर भी बैठ सकता हैं मगर पूरे दो दिन बैठना तो असम्भव सा लगता हैं किंतु मुनि संधान सागर जी महाराज ने अपनी साधना से असम्भव को संभव कर दिया,,आज पूज्य महाराज की फोटो को व्हाट्सएप पर देखा और देखते ही मन आनंदित हो गया ,, पूज्य मुनि संधान सागर जी महाराज के शरीर की दशा देखकर तो शायद कोई भी इस बात को मानने तैयार नही होगा कि सिर्फ हड्डीयो हड्डियों से बना हुआ दिखाई देने वाला यह शरीर किस तरह इतनी सघन साधना कर सकता हैं
पूज्य मुनि संधान सागर जी महाराज आचार्य विद्यासागर जी महाराज के शिष्यों में अकेले ऐसे शिष्य है जो राजस्थान से हैं और पंडितों द्वारा कही इस बात को झुठला रहें है कि राजस्थान की माटी में दिगम्बरत्व का पालन और साधना की बहुलता का अभाव हैं,,,
पूज्य मुनि संधान सागर जी महाराज के शरीर को देखकर कोई इस बात को कह नही सकता कि महाराज किसी तरह की शारीरिक मेहनत भी कर सकते हैं लेकिन आपको यकीन नही होगा कि वे दिन भर में जितना लेखन कार्य करते हैं उतना दो लोग मिलकर भी नही करते होंगे,, जितना वो चलते हैं उतना दो लोग मिलकर भी नही चलते होंगे,, यानि वो दो सामान्य मनुष्य से भी अधिक कार्य करते हैं
धन्य हैं ऐसे श्रेष्ठ साधक ,, हमें भी उनका आशीर्वाद मिलें इसी मंगल कामना के साथ
श्रीश ललितपुर