देखिये ये प्रतिमा हज़ार वर्ष पहले की धातुकर्म अभियंत्रिकी, जिस पर आज भी हम दांतों तले अंगुली दबाते हैं

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यह सुन्दर मूर्ति 1000 वर्ष पुरानी है और इसमें चाँदी का सर, ताँबे से शरीर और काँसे से बदन के परिधान और अन्य सजावट की सामग्री है। मूर्ति में कोई जोड़ नहीं पर एक पीस है। चाँदी का गलनांक 961.8,ताँबे का 1085 ,और कांसे का 930 से 1100।अब दो ही बातें हैं

इसे वेल्डिंग से जोडा़ जाय और वेल्डिंग भी ऐसी जिसे आँखों से देखना असम्भव या धातुकर्म अभियंत्रिकी उच्च स्थिति में, कि तीनों धातुओं की ढलाई में ऐसे अवयव का उपयोग जो तीनों धातुओं को गलाते समय प्रयोग किया गया जिससे तीनों द्रव अवस्था में रह सकें जिससे कि मूर्ति ढाली जाऐ और तीनों एक ही समय द्रव से ठोस बनने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर एक रूप हो सके। मतलब हमें धातुकर्म अभियंत्रिकी में महारत हासिल थी।

यह प्रतिमा देवस्थान प्रतिमा समिति कोल्हापुर में है