तीर्थंकर के दीक्षा कल्याणक के लिए लौकांतिक देव अनुमोदना करने आये थे, हम भी अन्तर्मना साधना की अनुमोदना करते है: आचार्य विशुद्ध सागर जी- चिदानंद तुम हो दया नंद तुम हो हमारे लिए तो श्री कुंद तुम हो.: आचार्य प्रसन्न सागर

0
2050

चातुर्मास स्थापना कार्यक्रम सम्पन ..सादगी से मनाया गुरु जन्म दिवस

शिखरजी :- आत्म साधक की साधना सम सिद्धि की साधना है सम की सिद्धि साधक की नीयत है पर सत्य है पुष्प किसी को गंघ देता नही है स्वयं ही गंघ मय होता है। पुष्प की सुंगंध भवरे अपने आप आ जाया करते है। ऐसे साधको की साधना से साधक अपनी साधना में तल्लीन है। यही कारण है की प्रसन्न सागर आचार्य अपनी तप साधना में तल्लीन है। तप साधना को देख कर शेर भी शांत हो जाता है। यह बात चातुर्मास स्थापना समारोह श्री सम्मेदशिखर झारखंड में विराजमान श्रमनाचार्य विशुद्ध सागर की महाराज ने अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज की तब साधना की अनुमोदना करते हुए कही

उन्होंने कहा कि *जब तीर्थंकर के दीक्षा कल्याणक के लिए लौकांतिक देव अनुमोदना करने आये थे तो हम भी हम भी अन्तर्मना की साधना की अनुमोदना करते है।* एक साधक की साधना में किंचित मात्र भी विकल्प नही आना चाहिए। यही आप सब लोगो से निवेदन है।

इसी तारतम्य में अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज ने कहा कि इस वर्ष मेरा पूण्य कहो सिद्ध भूमि का मेरी साधना अतिशय का की मेरी साधना के दरम्यान मुझे बड़े-बड़े साधको का आशीष मिल रहा है

जानकारी देते हुए प्रवक्ता रोमिल जैन पीयूष कासलीवाल, नरेंद्र अजमेरा ने बताया कि जैन जगत में पहली बार कलश स्थापना नही हुई बल्कि चातुर्मास की स्थापना सिद्ध भक्ति का पाठ पड़कर की गई। जहाँ गुरुदेव केशलोचन भी किया।

जहाँ अन्तर्मना गुरुदेव व सौम्य मूर्ति पियुष सागर जी महाराज जी संघ के साथ श्रमनाचार्य विशुद्ध सागर महाराज ससंघ,बालाचार्य मोक्ष सागर जी महाराज,उपाध्याय वीप्रनत सागर जी महाराज एवं चैतन्य मति माताजी,श्रुत मति माताजी मौजूद थे। इस अवसर पर भक्तो ने अपने चहेते गुरुदेव अन्तर्मना आचार्य श्री का जन्म दिवस सादगी से मनाया। व गुरुपूर्णिमा पर गुरु आशीष प्राप्त किया। इधर पीयूष सागर जी महाराज ने गुरूदेव की 557 दिन की साधना के बारे में बताते हुए सभी भक्तों से कहा की आप सभी गुरुजी के साधनाकाल तक महामंत्र णमोकार का प्रति महीने की 23 तारीख को सवा लाख जाप करें एवं प्रतिदिन गुरुनाम का सुमिरन करें एवं साधनाकाल तक गुस्सा नही करने का संकल्प ले।

इस अवसर पर डॉ संजय जैन, बंटीचन्द्रप्रकाश बैद ,अशोक पाटनी बडायली, विवेक गंगवाल,आकाश जैन, सजन जैन बंटी, आलोक बाकलीवाल,धीरेन जैन,सुरेन्द्र जैन,सन्दीप बड़जात्या,शैलेश जैन गिरडीह, सम्यक बाकलीवाल ,राहुल जैन, विनीता जैन व चातुर्मास आयोजक समिति श्री दिगम्बर जैन बीस पंथी कोठी सम्मेद शिखर जी झारखंड के शिखर चंद पहाड़िया, अजय जैन आरा पटना, अशोक पंड्या गिरिडीह,अरविंद राव डोसी मुम्बई,सुरेश झांझरी कोडरमा, प्रशान्त जैन आरा आदि मौजूद थे।

– पीयूष/नरेद्र/रोमिल जैन