आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी महाराज : 34वां संयमोत्सव स्वर्णभद्र कूट पर : 15 उपवास पाड़ना : श्री सिद्धचक्र विधान, साधुवृंद ने प्रदान की नवीन पिच्छी

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19अप्रैल 2022/ बैसाख कृष्णा तृतीया /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/

तीर्थराज सम्मेद शिखर पर्वत पर भीषण गर्मी में सिंह निष्क्रीडित व्रत की उत्कृष्ट कठोर तप साधना करने वाले पूज्य पाद, उभय मासोपवासी, साधना महोदधि, महातपोमार्तण्ड, अन्तर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी महाराज के 34वें संयमोत्सव पर सम्मेद शिखर के स्वर्णभद्र कूट पर चतुर्दशी पर्व पर, अन्तर्मना के सान्निध्य में श्री सिद्धचक्र महामण्डल विधान की आराधना गणिनि आर्यिका विशा श्री माता जी ससंघ ने एवं आशोक मधु, राहुल रोहित, कीर्ति, चांदनी पहाड़िया गौहाटी परिवार, बिट्टू (रुचि) सरावगी बैंगलोर, मनोज चौधरी हैदराबाद, सचिन छाबड़ा गुवहाटी, लाली पिंकी, अल्ली बिट्टू, सत्येंद्र, मोनू आराध्या आदि अनेक भक्तों ने विधान का लाभ लिया।

स्वर्ण भद्रकूट के चरणों की शान्तिधारा करने का सौभाग्य श्री कमलेश पहाड़िया कानपुर को प्राप्त हुआ। अन्तर्मना तपाचार्य को नवीन पिच्छिका आचार्य गुण भद्र नन्दी, मुनि श्री पुण्य सागर जी महाराज, सौम्य मूर्ति मुनि श्री पीयूष सागर जी संघ एवं गणिनि विशा श्री माता जी ससंघ ने भेंट की और पुरानी पिच्छी प्राप्त करने का आशोक मधु पहाड़िया गुवहाटी को स्वर्णिम सौभाग्य मिला। आर्यिका पुनीत चैतन्यमति माता जी एवं बिट्टू सरावगी बैंगलोर ने जिनवाणी भेंट की। अन्तर्मना तपाचार्य के 15 उपवास की पारणा एवं पड़गाने का सौभाग्य आशोक – मधु पहाड़िया, बिट्टू सरावगी को मिला।