पानी मर्यादा तोड़े तो विनाश होता है, औरइन्सान मर्यादा का उल्लंघन करे तो सर्वनाश होता है..अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर’ जी

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13 नवंबर 2022/ मंगसिर कृष्ण पंचमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/

परमपूज्य परम तपस्वी अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर’ जी महामुनिराज सम्मेदशिखर जी के बीस पंथी कोटी में विराजमान अपनी मौन साधना में रत होकर अपनी मौन वाणी से सभी भक्तों को प्रतिदिन एक संदेश में बताया कि पानी मर्यादा तोड़े तो विनाश होता है, और
इन्सान मर्यादा का उल्लंघन करे तो सर्वनाश होता है..!

डिमापुर नागालेंड मे हुआ महापारणा महामहोत्सव का भव्याक्तिभव्य वात्सल्य आमंत्रण कार्यक्रम

साधना महोदधी उभयमासोपवासी अंतर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी महाराज पारसनाथ टोंक पर सम्मेद शिखर जी मधुबन मे सिंहनिष्कीड़ित व्रत की 557 दिन की अखण्ड मोन साधना मे लीन हे l जिसका महापारणा 28 जनवरी 2023 कों होना हे l और होंगी महाप्रतिष्ठा, जिस हेतु एक भव्याती भव्य महामहोत्सव का आयोजन दिनांक 27 जनवरी से 3 फरवरी 2023 तक किया जाना हे

12.11.22 शनिवार क़ो प्रातः 7 बजे आयोजित वात्सल्य आमंत्रण कार्यक्रम मे महामहोत्सव मे सकल डिमापुर समाज को आमंत्रित और निमंत्रित करने हेतु अंतर्मना गुरुदेव के कल्याणकारी आशीर्वाद के साथ महोत्सव समिति के हम सभी गुरू आज्ञानुव्रतीयों ने डिमापुर समाज के सभी साधार्मिक भाइयों व गुरुभक्तों को आमंत्रित किया है l

उक्त कार्यक्रम मे महामहोत्सव की सम्पूर्ण रुपरेखा, अनिवार्य व्यवस्था व अन्य बिन्दुओं पर समिति ने अपना सम्पूर्ण प्रतिवेदन समाज के सम्मुख प्रस्तुत किया l सम्पूर्ण समाज के सभी पदाधिकारियों ने महोत्सव की कमेटी को अपना तन मन धन के साथ सहयोग प्रदान करने का संकल्प लिया l
मनुष्य के उत्थान पर पतन का कारण है अनुशासन। जीवन की सफलता, चारित्रिक उत्थान, स्वास्थ्य लाभ के लिये अनुशासन की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। अनुशासन के अभाव में दिन प्रति दिन अव्यवस्थाओं से घिरते चले जाते हैं।

माना कि – अनुशासन का जीवन जीना बहुत कठिन कार्य है लेकिन एक बार अनुशासन का स्वाद यदि मन को लग जाये तो जीवन आनंद के उत्सव से कम नहीं होता। अनेक महापुरूषों के जीवन को देखें या सूर्य, चन्द्रमा, गृह, नक्षत्र, नदी, वृक्ष, पशु, पक्षी आदि प्रकृति के अनुशासन का पालन करते हुए एवं अपने दायित्व का निर्वहन करते हुये, दृष्टि गोचर होते हैं।

यह अनुशासन हमें सिर्फ बुराईयों से नहीं बचाता बल्कि सफलताओं के शिखर पर भी पहुंचा देता है। अनुशासन मय जीवन जीने से जिम्मेदारियाँ कभी बोझ नहीं बन सकती। निःसंदेह अनुशासन एक कठिन साधना है किन्तु इसका प्रति फल भी किसी अमूल्य धरोहर से कम नहीं है।

अनुशासन स्वयं से प्रारंभ करे और जीने का आनंद वसूले…!!!।
नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद