यदि आप अपने जीवन से प्रेम और शान्ति को निकाल दो, फिर जीवन जियो, शायद एक दिन भी जीवन ना जी पाओगे, शान्ति सर्वोषधि है, तो प्रेम अमरता का अमृत है: आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी

0
355

22 अप्रैल 2023/ बैसाख शुक्ल एकम/चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ औरंगाबाद /राजीम नरेंद्र /पियूष जैन
साधना महोदधि सिंहनिष्कड़ित व्रत कर्ता अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज एवं सौम्यमूर्ति उपाध्याय 108 श्री पीयूष सागर जी महाराज ससंघ का विहार महाराष्ट्र के ऊदगाव की ओर चल रहा है विहार के दौरान राजीम मे भक्त को कहाँ की

कुछ लोग कहीं भी जाते हैं तो सुख, शान्ति, प्रेम,
और प्रसन्नता बढ़ जाती है..
बाकी जब जाते हैं तो सुख, शान्ति, प्रेम,
और प्रसन्नता बढ़ जाती है ..!

आज घर, परिवार, समाज या संगठन में, सफलता और शान्ति का कारण है एक दूसरे की बात को सुनना, समझना, और एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना। समाज, देश की उन्नति, विकास, और संगठन के लिए शान्ति प्रेम सौहार्द का वातावरण अनिवार्य है। शान्ति प्रेम सिर्फ शब्द मात्र नहीं है, इसमें हमारी समस्याओं का समाधान छुपा हुआ है।

जो शान्ति-प्रेम का जीवन जीते हैं, वो मनुष्य के रूप में देवतुल्य हो जाते हैं। जीवन का सुख, आनंद, आरोग्य — प्रेम और शान्ति पर ही टिका हुआ है। यदि आप अपने जीवन से प्रेम और शान्ति को निकाल दो, फिर जीवन जियो, शायद एक दिन भी जीवन ना जी पाओगे। शान्ति सर्वोषधि है, तो प्रेम अमरता का अमृत है।घर परिवार में सुख शान्ति वट वृक्ष की तरह है और घनी छांव प्रेम आनंद की वयार है। घर परिवार की अशान्ति कालान्तर में अग्नि के समान जीवन के हर एक अंग को भस्मासुर से मिला देती है। जीवन को सुख शान्ति प्रेम आनंद से जीना है तो प्रेम दो और शान्ति सै जियो। प्रेम और शान्ति हमारे जीवन के हर कंकड़ीले पथ को निष्कंटक बना देते हैं। शान्ति और प्रेम हमारे व्यवहारिक जीवन की असली कमाई है। प्रेम और शान्ति मानवीय गुण के साथ आत्मिक शक्ति भी है। इससे सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती है।

सौ बात की एक बात – प्रेम और शान्ति सर्वोषधि अमृताञ्जन है…!