प्रत्येक मानव के अंदर एक दानव और एक सच्चा दोस्त या एक अच्छा इंसान बनने की शक्ति सम्पन्नता है : आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी

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राजधानी पटना में काँग्रेस मैदान स्थित श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में शनिवार को जैन संत भारत गौरव साधना महोदधि अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में शनि अमावस्या के अवसर पर नवग्रह अनुष्ठान का आयोजन भक्तिमय माहौल में सम्पन्न हुआ।

जाप अनुष्ठान में तपाचार्य श्री प्रसन्न सागर जी गुरुदेव के श्री मुख से सम्पूर्ण मंत्रों का उच्चारण हुआ। जिसमें विधि-विधान पूर्वक जैन श्रद्धालुओं में पूजा-अर्चना किया। इस क्रम में जैन अनुयायियों ने सुख-शांति-समृद्धि की मंगल कामना के साथ विभिन्न प्रकार की सामाग्रियां हवन कुंड में अर्पित की।

वहीं अनुष्ठान में जैन तीर्थंकर भगवान मुनिसुव्रतनाथ स्वामी का विशेष आराधना की गई। इसके पूर्व भगवान पार्श्वनाथ मंदिर में जैन श्रद्धालुओं ने जिनेन्द्र प्रभु का मंगल, अभिषेक, शांतिधारा किया। धार्मिक पंडाल में जैन श्रद्धालु पवित्रता के प्रतीक पारम्परिक केशरिया वस्त्र पहने अपने आराध्य प्रभु की आराधना में लीन दिखे। इस दौरान अन्तर्मना आचार्य महाराज की मधुर वाणी पर हो रहे संगीतमय पूजा में भक्तों का समूह झूमता रहा। राष्ट्र, धर्म, परिवार, समाज, जीवों, समस्त प्राणियों में शांति, सद्भाव, मैत्री और अहिंसा संस्कार के इस जाप अनुष्ठान में पूजा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट और जय जय गुरुदेव से जयकारों से गूंज उठा।

मालूम हो कि 3 पिच्छी जैन मुनियों का संघ जैनियों के विश्व प्रसिद्ध तीर्थराज सम्मेद शिखर जी के लिए अहिंसा संस्कार पद विहार के क्रम में पटना शहर पहुंचे है। वहीं रविवार को शाम में कांग्रेस मैदान, कदमकुआं से मंगल विहार कर महामुनि श्री सेठ सुदर्शन स्वामी की पावन निर्वाण भूमि पटना सिटी स्थित कमलदह जी सिद्ध क्षेत्र पर दर्शन ध्यान करेंगे। इसके बाद 20 मार्च को भगवान महावीर की जन्मभूमि कुण्डलपुर तीर्थ (नालंदा) पहुंचेंगे और 25 अप्रैल महावीर जन्मोत्सव कोडरमा (झुमरीतिलैया) में मनाने की संभावना है।

धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य प्रसन्न सागर महाराज ने कहा कि आप अपने में निर्णय करें कि विश्व में आत्म शक्ति एक महाशक्ति है। प्रत्येक मानव के अंदर एक दानव और एक सच्चा दोस्त या एक अच्छा इंसान बनने की शक्ति सम्पन्नता है। एक आत्मा से महात्मा और परमात्मा उद्घाटित होता है। उन्होंने कहा कि जब किसी के पुण्य पर पाप जोड़ मारने लगता है तो उसे पुण्य भी पाप सा लगने लगता है और जब किसी के पाप पर पुण्य जोड़ मारने लगता है तब उसे पाप भी पुण्य सा लगने लगता है। विचार वस्तुतः सांचे की तरह होते हैं। जैसा साँचा होगा, वैसी वस्तु का आकार होगा। अच्छे विचार ही हमारे लिए श्रेष्ठ उपहार होते है।

बता दें कि सुप्रसिद्ध जैन संत अन्तर्मना प्रसन्न सागर जी महाराज के एक झलक दर्शन पाने को भक्त आतुर दिख रहे थे। जब महाराज श्री अपने दोनों हाथों को उठाकर भक्तों को मंगल आशीर्वाद देते तब सभी श्रावकों का हृदय पुलकित हो उठता है। जो भक्त एक बार उनके शरण में आता है वह उनके वात्सल्यमयी प्रेम का दीवाना हो जाता है। जब वो सड़को पर पदयात्रा करते है तब उनके पीछे सैंकड़ो की संख्या में महिला-पुरूष वर्ग के साथ बच्चे और युवा भी उनके काफिला का हिस्सा बन जाता है। इस अवसर पर सैंकड़ो की संख्या में जैन समाज शामिल हुए।

-: प्रवीण जैन (पटना)