पूरा जैन समाज जैसे लगा अंतर्मना के महापारणा महाप्रतिष्ठा महोत्सव की तैयारी में, 7 दिनों तक पूरे मधुबन में किसी के घर में चूल्हा नहीं जलेगा

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26 जनवरी 2023/ माघ शुक्ल षष्ठी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी / शरद जैन

अब दिनों की नहीं, घंटों की बात रह गई है । आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी महाराज की मौन साधना के अनवरत 557 दिन और सिंह निष्क्रिय व्रत के पूरे होने में। जी हां 21 जुलाई 2021 से शुरू हुआ अब 28 जनवरी को यानी शुक्रवार को पूरा हो रहा है और आज पूरा देश उसे विशेष महापारणा महाप्रतिष्ठा महामहोत्सव बनाने के लिए जुट चुका है और तैयारियां भी लगभग पूरी होकर, अंतिम चरण में है।

पिछले कुछ समय में यह सचमुच महाप्रणा का महोत्सव देश का सबसे बड़ा महोत्सव बनने जा रहा है और इसके साक्षी बनाने के लिए कमेटी द्वारा भारत के राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू , उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला जी के साथ, अनेकों बड़ी हस्तियों को आमंत्रित किया गया है । यही नहीं योग गुरु बाबा स्वामी रामदेव ना केवल इस ऐतिहासिक समारोह के साक्षी बनेंगे, बल्कि 29 जनवरी को एक विशेष योग सभा का आयोजन कर रहे हैं । जैन समाज ही नहीं , पूरा प्रशासन भी अलर्ट मोड में है और सभी तरह की सुविधाएं , आने वाले यात्रियों को देने के लिए पूरी तरह जुड़ा हुआ है ।

ध्यान रहे आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी ने, इस साधना के काल में बहुत बड़ा समय स्वर्ण भद्र कूट पर बिताया, जहां पर सर्दियों में तापमान शून्य के आसपास या नीचे तक चला जाता है । ऐसे में दिगंबर संत की तपस्या की पराकाष्ठा, व्रत के साथ जैसे आसमान को भी नीचे आने को आतुर कर देती है, धरा अपनी बाहें खिला देती है , सूरज भी अपनी पूरी कोशिश करता है कि ऐसे संत को में अपना ताप दे सकूं, पर बर्फीली हवाएं भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर , उस तापमान को बढ़ने से रोकती रही हैं।

ऐसे में सचमुच यह मौन साधना , उपवास की श्रंखला, जिसमें 557 दिनों में सिर्फ 61 दिन पारणा होती है और 496 दिन उपवास रहता है । कहा जाता है इस महापारणा महाप्रतिष्ठा में 7 दिनों तक इस क्षेत्र में पूरे मधुबन में किसी के घर में चूल्हा नहीं जलेगा, बल्कि हर दिन सुबह और शाम का भोजन, सारे लोगों के लिए एक ही जगह पर बनेगा , ऐसी व्यवस्था भी कमेटी द्वारा की जा रही है, जो शायद आज तक ऐसी नहीं हुई।

शाश्वत अनादि निधन तीर्थ, जो पवित्र जैन तीर्थ है , जहां की एक बार की गई निर्मल भावों से वंदना, नर्क और तिर्यच गति का बंध रोक देती है।

सूत्रों के अनुसार कहा जा रहा है , आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी महाराज 28 जनवरी को पारसनाथ पर्वत से नीचे उतरेंगे और उनके साथ आदिवासी समाज, मधुबन पंचायत, स्वच्छता समिति आदि अनेक ग्रामीण संस्थाओं, आदिवासी कमेटियों के साथ स्थानीय समाज उनका आगे बढ़कर स्वागत करेगा। ऐसा दृश्य ऐतिहासिक होगा, जो शायद निकट भविष्य में दोबारा देखने को ना मिले। अभूतपूर्व क्षण अपने हृदय में चिर अंकित करने के लिए, देश विदेश से भी हजारों लोग यहां पहुंच चुके हैं और कहा जाता है कि अगले 7 दिनों के लिए , यहां आने वाली किसी भी रेल में, कोई भी टिकट आज नहीं मिल रही है । पहली बार महापारणा के इस महा उत्सव में छह स्पेशल ट्रेनें पारसनाथ के लिए जगह-जगह से पहुंच रही है । जैन इतिहास का यह अभूतपूर्व गौरवान्वित क्षण होगा ।

चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी, ऐसे क्षणों को यादगार बनाने के लिए, आपको जानकारी देता रहेगा और शीघ्र वहां पर पहुंचने का भी प्रयास करेगा और संभवत आचार्य श्री से एक्सक्लूसिव धर्म चर्चा के, आपको वह चित्र भी दिखा पाएगा, जिनको सुनकर ,आप तन मन से कृतार्थ हो जाएंगे । बस इंतजार की अब चंद घड़ियां ही शेष रह गई है।

चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी की ओर से 13वे तीर्थंकर श्री विमलनाथ जी के ज्ञान कल्याणक और भारत के 74 वे गणतंत्र दिवस की, आप सभी को बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं।