अपने गुरु की दीक्षा अवसर पर आयोजित हुआ अन्तर्मना अलंकरण सम्मान समारोह
औरंगाबाद /कानपुर। पत्थर की चोट से जो टूट गया वो कंकर बन गया और जो पत्थर की चोट जो सह गया वो शंकर बन गया । मुझ से एक युवक ने पूछा गुरुदेव सम्मेद शिखर की यात्रा कितनी लंबी है मेने कहा एक कदम….. युवक बोला में समझा नही जैसे आप नही समझे मेने कहा एक कदम साहस तुम्हे पारस नाथ के दर्शन करवा सकता है एक कदम हिम्मत का तुम्हे आकाश की ऊँचाई तक पहुँचा देगा। सुख पाने के लिए पाप कर ये संसार है सुख छोड़ने के लिए पूण्य करो ये वैराग्य औऱ सन्यास है। यहां बात पुष्पगिरी तीर्थ प्रणेता गणाचार्य पुष्पदन्त सागर जी महाराज के 40 वा दीक्षा दिवस व सम्मान अलंकरण समारोह कार्यक्रम में श्री शान्तिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर आनंदपुरी कानपुर में साधनामहोदधि भारतगौरव अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर महाराज ने उपस्थित भक्तो से कही। उन्होंने कहा कि संसार का मार्ग सहन करने का मार्ग है गुरुदेव ने 40 वर्ष इस मार्ग में पूर्ण किये है। गुरुदेव कहते है संन्यास का मार्ग सहनशक्ति, मनोबल, का मार्ग है । गुरुदेव ने छोटी उम्र में हमे अपने पास रखा,हमे तरासा,डाटा प्रेम किया पढ़ाया ओर हमे बताया कि यही भगवान बनने का मार्ग है। कभी-कभी छोटी-छोटी बाते आदमी को सोचने को मजबूर कर देती है जैसे में अपने आप को ओर सुधारुगा ओर जब तक सुधरूँगा नही में भगवान बनने के मार्ग पर नही पहुँचूँगा। भगवान बनने का मार्ग सुधरने का मार्ग है इस लिए में कहता हूं कि मालिक जब भी मिलेगा तो गुरु के जरिये ही मिलेगा ओर उन्ही प्रेरणा तुम्हे सही मार्ग पे लेकर जाएगी। इसलिए गुरु की दीक्षा दिवस पर आप से कहना चाहूंगा की दीक्षा मतलब अपनी इच्छाओं को रोकना क्योकि जीवन मे संयम नही तो जीवन बेकार है
अन्तर्मना आचार्य जी मे आर्शीवचन से पूर्व अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज के गुरु पुष्पगिरी तीर्थ प्रेणता गणाचार्य श्री पुष्पदन्त सागर जी महाराज का 40 वा दीक्षा दिवस धूमधाम से मनाया गया। अन्तर्मना के साथ मुनि सौम्य मूर्ति पीयूष सागर जी ,मौनप्रिय ऐलक पर्व सागर जी महाराज के सानिध्य में भक्तो ने गणाचार्य जी की पूजन, चरण प्रकच्छालन कर पुण्यार्जन किया। इसी तारतम्य में मुनि पीयूष सागर जी ने कहा कि गुरु दीपक के समान होते है जो भक्त के जीवन मे आये अंधकार को प्रकाशमय करते है।
नरेद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल रोमिल जैन