साल में ऐसा दिन केवल एक बार, दिन एक, तीर्थंकर दो, कल्याणक चार

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सान्ध्य महालक्ष्मी डिजीटल / 08 जनवरी 2021
शनिवार, 9 जनवरी को है पौष कृष्ण एकादशी, और यह दिन पूरे वर्ष में सबसे पावन है, क्योंकि केवल इसी दिन चार कल्याणक आते हैं – दो तीर्थंकरों के जन्म-तप कल्याणक के रूप में।

आठवें तीर्थंकर श्री चन्द्रप्रभु का इसी दिन सुपार्श्व प्रभु के मोक्ष जाने के नौ सौ करोड़ सागर बीत जाने के बाद, चन्द्रपुर नगर के महाराजा श्री महासेन की महारानी श्रीमती लक्ष्मणा देवी के गर्भ से जन्म हुआ। आपकी आयु दस लाख वर्ष पूर्व थी तथा कद 150 धनुष ऊंचा था। अध्रुवादि भावनाओं का चिंतवन करने से, ढाई लाख वर्ष पूर्व के कुमार काल और साढ़े छह लाख वर्ष पूर्व 24 पूर्वांग के राज्य काल के बाद, आपको वैराग्य उत्पन्न हुआ। और इसी पौष कृष्ण एकादशी को विमला पालकी से चन्द्रपुर नगर के सवार्थ नाम के वन में नाग वृक्ष के नीचे दो दीक्षोपवास किये आपके साथ एक हजार राजाओं ने दीक्षा ली। आपने तीन माह तप किया।

इसी पौष एकादशी को 23वें तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ जी का, तीर्थंकर श्री नेमिनाथ जी के मोक्ष जाने के 83,650 वर्ष बीत जाने के बाद, बनारस के महाराजा श्री विश्वसेन की महारानी श्रीमती वामादेवी के गर्भ से हुआ। श्याम हरित वर्ण के पारस प्रभु की आयु 100 वर्ष और कद नौ हाथ का था। आपका तीर्थ प्रवर्तन काल सबसे कम, मात्र 278 वर्ष का रहा, पर सबसे ज्यादा लोकप्रिय आज भी आप हैं। 30 वर्ष के कुमार काल के बाद, जाति स्मरण से आपके भीतर वैराग्य भावना बलवती हो गई। और फिर बनारस के ही अश्वस्थ वन में विमला पालकी से पहुंचे। आपके साथ 300 राजाओं ने भी दीक्षा ली। देवदास वृक्ष के नीचे तप में लीन होने के समय, तीन दिन के उपवास किये और आपने चार माह तक तप किया।
ऐसा पावन दिन, सभी के जीवन में मंगलकारी बने, शुभ हो, इन्हीं भावनाओं के साथ।