जिस प्रकार मेघों को देख मयूर आनंदित हो नाचता है, उसी प्रकार चातुर्मास में साधु को अपने बीच देख श्रावक हषार्ते हैं- मुनि प्रणम्य सागर

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सान्ध्य महालक्ष्मी / 30 जुलाई 2021

आगरा। हरीपर्वत स्थित एमडी जैन इन्टर कालेज के शान्तिसागर सभागार में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के युगल शिष्य पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज एवं चन्द्र सागर जी महाराज के द्वारा विभिन्न भक्तियां पढ़ कर चातुर्मास की विधिवत स्थापना की गई।

मुनि श्री प्रणम्य सागर जी ने कहा कि अहिंसा महाव्रत के पालन के लिये जैन साधु 4 माह का बन्धन स्वीकार करते हुये, एक ही स्थान पर रुकते हैं, उन्होंने कहा कि मुक्ति के लिये भी बंधना जरूरी है। जिस प्रकार मेघों को देख मयूर आनंदित हो नाचता है, उसी प्रकार चातुर्मास में साधु को अपने बीच देख श्रावक हषार्ते हैं, उन्होंने चातुर्मास को स्वकल्याण का अवसर कहा।

मुनि चन्द्र सागर जी ने आचार्य शान्तिसागरजी का संस्मरण सुनाते हुये कहा कि उस समय लाउड स्पीकर नहीं होते थे, तब आचार्य शान्तिसागर के चारों तरफ वीर सागर, शिवसागर समेत 4 मुनि दर्शकों की तरफ मुख कर बैठते थे और आचार्य श्री जो बोलते थे उसको रिपीट कर चारों ओर बैठे श्रोताओं को सुनाते थे, उसी प्रकार आगरा नगर की विशालता और भक्ती देख, आचार्य श्री विद्यासागर जी ने भी दो तरफ की भीड़ संभालने को दो-दो संघ एक साथ आगरा नगर में भेजे हैं, एक तरफ प्रणम्य सागर तो दूसरी ओर वीर सागर।

आचार्य श्री के चित्र अनावरण और दीप प्रज्ज्वलन श्री प्रदीप जैन ढठउ, जितेन्द्र जैन, राकेश जैन पर्दा, गौरव जैन, जैन यूथ आॅफ कमलानगर, शिखरचन्द जैन, मदनलाल बैनाडा आदि मौजूद थे। महामंत्री श्री सुनील जैन ने बताया की विधिवत कलश स्थापना का भव्य कार्यक्रम रविवार, 01 अगस्त को मध्याह्न 1 बजे से एमडी जैन इन्टर कालेज के मैदान में बनाये जा रहे वाटरप्रूफ भव्य पांडाल में होगा।