क्रोधी व्यक्ति अपने बने हुए काम को भी बिगाड़ लेता है- मुनि श्री प्रणम्य सागर

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मुजफ्फरनगर। प्रेमपुरी में प्रवचन करते हुए जैन मुनि प्रणम्य सागर महाराज ने कहा कि क्रोध के तीन प्रकार होते है।
पहला होता है शूटिंग एंगर, जिसमें व्यक्ति अपना क्रोध बाहर निकालता है और दूसरों पर चिल्लाता है।
दूसरे प्रकार में वह क्रोध करके अंदर ही अंदर अपने मन में क्रोध दबाए रखता है, जिसे कहते है साइलेंट एंगर।
और तीसरी स्थिति होती है – कार्मिक एंगर, जिसमें हम अपने ज्ञान से जान पाऐं कि क्रोध करना हमारी आत्मा का वास्तविक स्वभाव नहीं है। ये मात्र कर्मों के संयोग से हमारी आत्मा को क्रोध करना पड़ रहा है, तो हम क्रोध के समय इस तीसरी स्थिति में नहीं पहुंच पाते।मात्र क्रोध करके अथवा क्रोध को अपने अंदर दबाकर ही रह जाते हैं।
मुनि श्री ने कहा कि कई बार ऐसा होता है कि बने बनाए काम को भी क्रोधी व्यक्ति बिगाड़ देता है।