परमात्मा से पहले प्रेम करना चाहिए उसके बाद प्रार्थना अपने आप हो जाती है;जबकि अभी आप उल्टा कर रहे हैं, परमात्मा से प्रेम है नहीं और प्रार्थना किये जा रहे हैं: आचार्य श्री प्रज्ञा सागर

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10 फरवरी 2023/ फाल्गुन कृष्ण पंचमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ सीहोर
तपोभूमि प्रणेता आचार्य श्री प्रज्ञा सागर महाराज का मंगल आगमन 29 साल बाद सीहोर नगर में हुआ सीहोर प्रवेश पर दिगम्बर जैन पार्श्वनाथ मन्दिर छावनी में उपस्थित जनसमूह समक्ष बोलते हुए महाराज श्री ने कहा-परमात्मा से पहले प्रेम करना चाहिए उसके बाद प्रार्थना अपने आप हो जाती है। जबकि अभी आप उल्टा कर रहे हैं, परमात्मा से प्रेम है नहीं और प्रार्थना किये जा रहे हैं। अब बताइए बिना प्रेम के प्रार्थना क्या कभी पूरी हो सकती है? कभी नहीं। अतः परमात्मा से प्रेम करिए। प्रेम तभी होगा जब परिचय होगा अतः सबसे पहले उससे परिचय करिए, परिचय होते ही उनसे मिलना, उनके दर्शन अपने आप होने लगेंगे। लोग देवदर्शन का नियम ले लेते हैं और जीवन भर नियम ही पालते हैं, लेकिन न उनसे परिचय हो पाता है और न प्रेम। बस एक क्रिया चलती रहती है। यही वजह है कि हमें पूजा प्रार्थना का फल नहीं मिल पाता।

महाराज श्री में अपने प्रवचन में कहा कि लंबे समय के बाद अपनों से मिलने का आनंद ही कुछ अलग होता है। मैं 29 साल बाद सीहोर आया हूं। आज मैं जिसे देख रहा हूँ सीहोर में सब पहचाने हुए से लग रहे हैं। आपकी आँखे मुझे देख रही है और मेरी आँखें आपको। जितनी खुशी आपको हो रही है उतनी खुशी मुझे भी हो रही है।बस फर्क इतना है कि आप मुझे पहचान रहे है और मैं कोशिश कर रहा हूँ। पर आपके बीच आकर लग अच्छा रहा है।