आज इंसान स्वार्थी हो गया है,इंसानियत बची ही नहीं है, बेईमानों से सारी सड़कें और घर भरे पड़े हैं – आर्यिका पूर्णमति माताजी

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सागर / समय पर उठने वाला इंसान नैतिक और सहनशील होता है व्यक्ति जैसा करता है वैसा ही वह हो जाता है सुप्रभात कर (हाथ) से आराधना करो तीन बार ओम नमः सिद्धेभ्य जपने से सारे कार्य सफल हो जाते हैं यह बात ढाना में विराजमान आचार्य श्री विद्यासागर महाराज की परम प्रभावक शिष्या आर्यिका 105 पूर्णमति माताजी ने मंगल प्रवचन के दौरान कहीं।

उन्होंने कहा सुबह 4 से 5 बजे उठने वाला इंसान दिव्य पुरुष होता है 5 से 6 बजे उठने वाला इंसान सामान्य पुरुष होता है और 6 से 7 बजे उठने वाला इंसान की श्रेणी मैं नहीं जानवरों की श्रेणी में आता है।  उन्होंने कहा की एक जेल में इस मंत्र के जपने से कई कैदियों को आत्मिक शांति मिली और आज भी वह इस मंत्र की जाप कर अच्छे इंसान बने हुए हैं सिद्ध चक्र विधान सिर्फ जैनों के लिए नहीं पूरे ढाना ग्राम और आने वाले सभी आगंतुकों के लिए है उन्होंने कहा कि हर इंसान के अंदर भगवान की आत्मा बसती है हर इंसान को सुख की आवश्यकता है उन्होंने कहा गांव में सभी मिल कर रहे स्वार्थी बनकर नहीं पेड़ों में भी हमारी आत्मा रहती है

भगवान श्री रामचंद्र ने अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए 14 वर्ष का वनवास भोगा है यह भारतीय संस्कृति है लेकिन आज का इंसान इतना स्वार्थी हो गया है कि वह अपने और अपने परिवार के बारे में अच्छा सोचता है बाकी के बारे में नहीं, इंसानियत बची ही नहीं है बेईमानों से सारी सड़कें और घर भरे पड़े हैं उन्होंने कहा कि जब किसी का कोई नुकसान होता है तो वह कहता है बहू के पैर घर पर पड़े हैं तब से बंटाधार हो गया है यह सोच का विषय है यह कोई नहीं कहता कि बहू के पैर घर पर पड़ने से उनका जीवन भी सुधर गया है।

यह सोच का विषय है आशक्ति ही हमारे दुख का बड़ा कारण है माताजी ने कहा सोच से ही सुख है और सोच से ही दुख है हमेशा प्रभात कर (हाथ) दर्शन से होना चाहिए लेकिन आज प्रभात कप दर्शन से हो रहा है वह भी बेड टी से आर्यिका माताजी ने कहा के बच्चों के बिगड़ने का कारण उनको मारना पीटना भी होता है यदि आप उन्हें डांट लगाते हैं और समझाते हैं तो उनकी समझ में आ जाता है मारने से बच्चे और ढीठ हो जाते हैं।