अंतर्मुखी दिल की बात में आज आप से तीन विषयों पर बात करूंगा। यह विषय सीेधे तौर पर धर्म से तो नहीं जुडे हैं, लेकिन धर्म का ही हिस्सा हैं। ये वो विषय हैं जिनके कारण धर्म के प्रति श्रद्धा कम होती है। आचरण दूषित होता है। भाषा कठोर हो जाती है, वहीं इन्हें नहीं करने या इनसे दूर रहने से जीवन में धर्म के प्रति श्रद्धा बढ़ती है। आचरण निर्मल होता है और भाषा मधुर होती है।
पहली बात- आप सब अपने फोन के माध्यम से हर पल की फोटो लोगों को दिखाने के लिए स्टेटस, डीपी, स्टोरी आदि पर लगाते हैं या अन्य माध्यम से शेयर करते है। क्या आप अपने निजी जीवन के बारे में पल-पल की जानकारी लोगों को देकर सही कर रहे हैं? यह कितना उचित है यह आप स्वयं सोचें। जब आप किसी अन्य का स्टेटस, फोटो, वीडियो आदि देखते हैं तो क्या कमेंट करते हैं, आपके मन में किस तरह के विचार आते हैं, यह आप कभी खुद सोचना।
दूसरी बात – हमारे घर का कोई व्यक्ति जब कोई गलती करता है तो क्या उसका प्रचार-प्रसार करते हैं? जवाब आप अपने पास ही रखना, विचार करना कि आप क्या करते। तो फिर क्यों हम सोशल मीडिया पर मुनि निंदाकर अपने धर्म का मजाक उड़वाते हैं? यह ध्यान रखना कि आप एक मुनि की निंदा नही करते बल्कि पूरे समाज की हंसी, निंदा करते हो। ऐसा कुछ करने के बजाए अगर किसी मुनि के द्वारा कर्म उदय से कोई पाप हो जाए तो उनके पास जाकर, चर्चा कर उन्हें वापस मुनि धर्म में स्थिर करने में सहयोगी बनना चाहिए।
तीसरी बात- किसी पर आरोप लगाने के पहले, किसी के चरित्र, आचरण के बारे में निर्णय करने से पहले अपने दिमाग और समझ का इस्तेमाल कर पहले विषय की पूरी जानकारी करें। किसी भी व्यक्ति के बारे में सही और गलत का फैसला आप मन और इंद्रियों से नही अपने ज्ञान से (मस्तिष्क) से करें तभी आप सही निर्णय तक पहुँच पाएंगे।