जिन मंदिर के दर्शन से मिलता है उपवास का फल – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर

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कर्मों से रहित अरिहंत भगवान के साक्षात दर्शन तो नहीं होते है पर उनकी पंचकल्याणक सहित प्रतिमा के दर्शन और जिन मंदिर के दर्शन के विचार और दर्शन करने से उपवास का फल मिलता है। इसका वर्णन आचार्य रविषेण जी ने पद्मपुराण के 32वें पर्व में किया है।
– जो जिन प्रतिमा के दर्शन का चिंतवन करता है उसे एक उपवास का फल मिलता है।
– जिन प्रतिमा की दर्शन की तैयारी प्रारम्भ करने वालों को दो उपवास का फल मिलता है।
– मंदिर जाने की यात्रा आरम्भ करने वाले को तीन उपवास का फल मिलता है।
– जिन मंदिर की ओर गमन करने पर चार उपवास का फल मिलता है।
– जिन मंदिर के आधी दूर पहुँचने पर 15 दिन के उपवास का फल मिलता है।
– चैत्यालय (जिन मंदिर) के दर्शन करने पर एक माह के उपवास का फल मिलता है।
– भाव भक्ति से जिन प्रतिमा के दर्शन, स्तुति आदि करने से अनन्त उपवास का फल मिलता है।
जैन शास्त्रों के अनुसार दर्शन के विचार मात्र से एक मेंढक देव बन गया और समवशरण में जाकर साक्षात तीर्थंकर के दर्शन कर लिए।
शब्दों का व्यवहारिक अर्थ :
पर्व-अध्याय, पंचकल्याणक-पाषाण आदि की प्रतिमा को पूजनीय बनाने की विधि, अरिहंत-भगवान, समवसरण-तीर्थंकर के उपदेश देने का स्थान