आचार्यों ने किस प्रकार ताड़पत्रों पर नक्शे भी बनाए है। द्वीपसमुद्र का नक्शा, इसमें अष्टमंगल है जो मंदिरों में वेदी पर बने होते है, मानस्तंभ का चित्र, जिनमंदिर का चित्र,
जिनदिगम्बर आचार्यों ने जिनेन्द्र देव की वाणी को जंगल में इतनी असुविधा के रहते हुए भी हम तक पहुंचाया, उन आचार्यों का उपकार और महिमा का शब्दों में वर्णन
वास्तव में अशक्य है तथा जिन श्रावकों ने इन्हें समय समय पर संरक्षित किया और सुरक्षित हमारे हाथों तक पहुंचाया उन सबका हम पर अनंत उपकार है।
जैन आगम को पुरातन पद्धति के अनुसार नये ताड़पत्र में लिखकर उसे चारसौ वर्ष तक संरक्षण करने का कार्य सम्पन्न हो गया है।
*मुनिश्री समत्व सागर जी* के मार्गदर्शन में नई टेक्नोलॉजी *Laser Engraving* का प्रयोग करके समयसार ग्रंथ की 415 गाथा को 52 पत्तों पर engraving करके लिखा गया है