॰ पावापुरी महोत्सव में होते हैं कितने जैन?
॰ मोक्ष कल्याणक पर कितने जैन रहते यहां 20 घंटे?
02 नवंबर 2024/ कार्तिक शुक्ल एकम /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन /
वर्तमान जिनशासन नायक श्री महावीर स्वामी के 2551वें मोक्ष कल्याणक पर उन्हीं की मोक्षस्थली पावापुरी में लगभग 1200 दिगम्बर जैन भाई पहुंचे। आप सोचेंगे, बस इतने ही, जी हां, यह संख्या अगर पिछले 4-5 वर्षों के पहले से तुलना करें, तब तो 400-500 ही आते थे। यहां पर ठहराने के लिये भी इतनी व्यवस्था और सुविधा नहीं। अधिकतम 100 कमरे और 4-5 हाल। 800-900 से ज्यादा आ भी जायें, तो राजगीर या कुंडलपुर में ठहराना पड़ता है। आज जब धर्मशालायें अत्याधुनिक की जा रही हैं, वहीं यहां समय के साथ अपडेट नहीं।
दस लोग भी नहीं रुकते 20 घंटे तक के लिये
31 अक्टूबर को दोपहर तक यहां 5 जैन बंधु भी नहीं थे, सब शाम में आते हैं, रात्रि में आरती व बोलियां आदि कार्यक्रम, सुबह 4 बजे शोभायात्रा, साढ़े चार बजे निर्वाण लाडू, फिर चतुर्मुखी प्रतिमा पर अभिषेक के बाद वापस धर्मशाला मंदिर की ओर। 8 से 9 बजे के बीच नाश्ता और दस बजे के बाद कोई नहीं रुकता, 5-10 रुकते हैं, तो वो भी जिनका ट्रेन का समय अभी नहीं होता। यही सच है कि जिनका पूरा देश 2550वां निर्वाण महोत्सव वर्ष का समापन और 2551वां मोक्ष कल्याणक मना रहा है, वहां एक दिन तो क्या, 18-20 घंटे भी नहीं रुकते सिद्ध स्थली पर।
सरोवर नहीं होता साफ 4-5 साल भी, नहर से कट गया कनेक्शन, रहती बदबू
20-25 साल पहले तक इस सरोवर का नहर से कनेक्शन था, पानी अविरल रहता, रुका नहीं रहता। बाद में इशको काट दिया, प्रबंधन श्वेताम्बर सोसाइटी के पास है, अभी 3-4 साल से सफाई नहीं हुई। वहां बदबू आती है, जबकि जैन तो 10 फीसदी, अजैन 90 फीसदी आते हैं। अगर इस पर ध्यान दिया जाये, तो आकर्षण और बढ़ जायें, क्योंकि इस सरोवर का नजारा बहुत ही खूबसूरत लगता है। इस पर तीर्थक्षेत्रकमेटी के दिल्ली अंचल चैनल महालक्ष्मी की रिपोर्ट पर उचित संज्ञान लेते हुए बिहार के मुख्यमंत्री जी का ध्यान आकर्षित किया है।
पावापुरी महोत्सव में नहीं होते 5 जैन भी
धन्यतेरस को समापन होने वाले त्रिदिवसीय समारोह, बिहार सरकार के सहयोग से हो रहे पावापुरी महोत्सव को जैन समाज की वर्षों की मांग को 4-5 साल पहले बिहार सरकार ने मानते हुये, इस महोत्सव को शुरू किया। पर अगर इस कार्यक्रम के अंदर देखें तो, देखने वालों में यहां की कमेटी के अलावा 5 जैन बंधु भी नहीं होते। कितना अफसोस है कि कहीं तो जैनों की मांग सुनी नहीं जाती और जहां सुनी गई, वहां जैन ही उत्सुक नहीं। कहीं आने वाले समय में वह दिगम्बर जैन समाज का महोत्सव बौद्धों के लिये परिणीत ना हो जाये, इसके कारण भी हैं।
90 फीसदी अजैन नहीं जानते कि यह महावीर स्वामी का तीर्थ है
बिहार सरकार की स्कूली छात्रों को तीर्थ भ्रमण योजना में पावापुरी भी शामिल है, इसी तरह यहां अन्य सम्प्रदाय के बड़ी संख्या में लोग आते हैं। उनसे चैनल महालक्ष्मी ने बात भी की, वे उसे अपने बाबा या बौद्ध मानते हैं, 5 फीसदी भी नहीं कहते यह तीर्थ महावीर स्वामी का है। बिहार तीर्थक्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष पराग जैन ने बताया कि अभी 30 अक्टूबर राजा सिद्धार्थ सभा मंडपम की शुरूआत की है, जिसका उद्देश्य यहां आने वाले जैन-अजैनों को महावीर स्वामी के चरित्र से एक वृतचित्र के माध्यम से जानकारी दी जाएगी।
पर्यटन विभाग से की दिगम्बर कमेटी ने मांग, श्वेताम्बर मंत्री ने कर दिया मना
बिहार तीर्थक्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष पराग जैन ने चैनल महालक्ष्मी को बताया कि 4-5 माह पहले ही सरोवर की नियमित सफाई के साथ यहां पर अन्य स्थलों की तरह लाइट एंड साउंड लेजर शो की मांग की थी। पर श्वेताम्बर कमेटी के क्षेत्रीय मंत्री राजेश जैनजी ने उस मांग पर सहमति नहीं दी। उनको आशंका है कि उनके हाथ से प्रबंधन नियंत्रण ढीला हो जाएगा। बाहर तो हमको एक होकर बढ़ना होगा।
दोगुनी दूरी से चार गुणा आते हैं श्वेताम्बर भाई
दिगंबर समाज के मात्र 1200 लोग ही थे एक नवम्बर की सुबह यानि अमावस्या को निर्वाण लाडू चढ़ाने के समय, वहीं एकम को जब श्वेताम्बर समुदाय के लोग होते हैं, तो वह दोगुनी से चार गुनी दूरी से यानि राजस्थान-गुजरात से 5000 की संख्या में आये। दिगंबर समाज के बीच अपने तीर्थों के प्रति कम उत्साह जरूर ही चिंतित करने वाला है।
इस पर पूरी जानकारी चैनल महालक्ष्मी के एपिसोड नं. 2950 में देख सकते हैं।