शिखरजी में 40 महीने बाद खुला मंदिर अब बंद नहीं होगा,कमेटी मुकरी, पर 400 दिन से व्रत उपवास कर रहे आचार्य श्री ने दिया आश्वासन

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6 अगस्त 2022/ श्रावण शुक्ल नवमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी
लगभग 400 दिनों से सुन रहे थे बार-बार, कि शिखरजी में हो रहा है कुछ ऐसा चमत्कार, कि संत एक और दो कठिन व्रतों की की चल रही धार । और इस बार फिर मोक्ष सप्तमी पर चैनल महालक्ष्मी टीम पहुंच गई थी, अनादिनिधन तीर्थ शिखरजी में और ऐसा सौभाग्य मिला की आचार्य श्री के दर्शन के साथ, जैन धर्म, विरासत और संस्कृति पर साक्षात्कार का दुर्लभ सौभाग्य। एक तरफ मौन प्रतिमा, जो बस मुस्कुरा सकती है और दूसरी तरफ नटखट और जो मुंह में आया वही बोलने वाली आवाज। कैसा अजीब संबंध था, पर जो हुआ, वह लगभग असंभव था। और शायद दुनिया में ऐसा पहला मौका था कि जब मौन मूर्ति से चित्र और कलम का साक्षात्कार हो रहा था।

चलते-चलते अचानक कुछ बंधु आए , जिनका मन बुझा था, चेहरे जैसे लटके थे। सोच हम भी रहे थे कि ऐसा क्या, सामने तेज सूर्य को देखकर , जब सबके चेहरे खिल जाते हैं, तो इनके चेहरे लटके क्यों। हैरान तो थे। मुस्कुराता आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी का चेहरा भी , अब गंभीर हो गया। चेहरा हमने पढ़ लिया था कि जरूर कागज पर नीले अक्षरों में, उस स्याही में कुछ ऐसा छिपा है जो आचार्य श्री के हृदय में भी चोट कर रहा था। उन्होंने एक बार पढ़ा और फिर उसी अंदाज में दोनों हाथ उठाकर आशीर्वाद दिया उन लोगों को, जिनके मुंह लटके थे। साइड में रखी थी डिजिटल सलेट, जिस पर लिखकर उन्होंने उन सब को आश्वासन दिया कि तुमने मेरे आशीर्वाद पर 40 माह से बंद मंदिर के कपाट यूं ही खोल दिए थे और आज मैं तुम्हें पुनः आश्वासन देता हूं कि तुम्हारा ख्याल, हमेशा मेरा आशिर्वाद करेगा।

कुछ देर में हकीकत हमें मालूम चल गई । शुक्रवार लगभग 1:00 बजे कि यह घटना, सम्मेद शिखरजी की स्वर्ण भद्र कूट पर, पीछे की तरफ जब आचार्य श्री से एक मौन साक्षात्कार चल रहा था, और वो कोई और नहीं थे, बल्कि तलहटी के पावन धाम में कार्यरत कर्मचारी । उन्होंने बताया कि मंदिर खोलने के 5 दिन बाद, यानी 21 मई को सम्मेद आंचल कमेटी के साथ, उनका आपसी सहमति से समझौता हुआ , जिसमें 8 बिंदुओं को स्पष्ट लिखकर हस्ताक्षरित किया गया ।

इसके 20 दिन बाद लगभग, श्री दिगंबर जैन सम्मेद आंचल विकास कमेटी ने 13 जून को मधुबन के थाना प्रभारी को पत्र लिखकर , इस आपसी समझौते के बारे में स्पष्ट किया और कहा कि अब मंदिरों का संचालन पूर्व की तरह हो रहा है और सभी कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। मंदिरों में पूजा प्रक्षालन शुरू हो चुका है। इस बारे में प्रबंधक द्वारका राय को निर्देशित किया गया। यह सब चलते हुए, कमेटी द्वारा दो माह से कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया और फिर अचानक 25 जुलाई को कमेटी द्वारा द्वारका राय, प्रबंधक को पत्र द्वारा लिखा गया कि 21 मई को, जो अनुबंध आपस में किया गया था। उसमें बृजेश तिवारी पर दबाव डालकर , हस्ताक्षर कराए गए ।

इसकी कॉपी सरकार के विभिन्न विभागों के साथ, सभी 21 कर्मचारियों को भी दी गई कि पहले की तरह 11 कर्मचारी की सेवा पहले ही वापस ली जा चुकी है।

इस प्रकरण के चलते और पिछले 2 माह से वेतन न मिलने के कारण, अब सारे कर्मचारी, आचार्य श्री की शरण में आए थे और वह यही कह रहे थे। पहले भी आपके आशीर्वाद से हमें उन्हें नौकरी मिल गई थी, अब हम और हमारा परिवार बिना वेतन के कैसे कार्य करें। और साथ में यह पत्र देकर कमेटी ने अपने वादे से यू टर्न ले लिया ।सभी कर्मचारियों ने कहा कि उनके साथ छलावा हुआ है और अब उनकी समस्या का निदान कैसे हो।

आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी ने सभी को आशीर्वाद देते हुए कहा कि आप निश्चिंत रहें। आपने मेरे कहने पर भगवान के पूजा पाठ चालू किए हैं और अब आपकी समस्याओं का निदान भी होगा। अब इस आश्वासन के बाद , कोई भी पक्ष् प्रतिपक्ष , इस बारे में कोई समझौता या बात आगे करना चाहता है, तो वह निश्चय ही आचार्य श्री के सानिध्य में और उनके दिशा निर्देश के अनुरूप होनी चाहिए। जिससे पुनः मंदिर को दोबारा बंद करने जैसी स्थिति नहीं आए और अब भविष्य में कमेटी या और कोई इस संबंध में कोई बातचीत करें, तो वह आचार्य श्री के सानिध्य में ही , उनके दिशा अनुदेश निर्देश से ही होनी चाहिए।