पावागढ़ : ऊपर महाकाली का विकास, नीचे जैनों का सत्यानाश! ॰ ऊपर महाकाली मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिये 130 करोड़, नीचे जैन मंदिरों को शून्य

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॰ अब विकास व सीढ़िया चौड़ीकरण में तोड़ दी नेमिनाथ व अन्य जैन प्रतिमायें
॰ हजार वर्ष प्राचीन प्रतिमाओं को नष्ट कर, क्या जैनों का मिटा रहे इतिहास?
॰ अगर श्वेताम्बर भाइयों ने प्रतिमा न बदली होती, तो शायद दिगम्बर भाई तो कुछ ना कर पाते !
॰ कैसी थी मूल प्रतिमा, कैसे बदली और फिर महाकाली ट्रस्ट ने तोड़ी, हटाई, फिर दोबारा मरम्मत कराई, कैसे?
21 जून 2024// जयेष्ठ शुक्ल पूर्णिमा //चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/शरद जैन /
लगातार जैन तीर्थों पर हमले हो रहे हैं, रोज एक नये का नाम जुड़ जाता है, कहा तो पहले चौकीदार, फिर मोदी का परिवार, पर जैनों के प्रति बुरी नजर क्यों? पावागढ़ पर सात जैन मंदिर और ऊपर महाकाली मंदिर, जिस पर जैन दावा करते हैं कि वह कभी अंबा देवी का मंदिर था। अतीत में अनेकों को बदला गया, इतिहास साक्षी है।

पावागढ़ में महाकाली मंदिर पर ध्वजा लगाने पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री आदि की उपस्थिति और 130 करोड़ रुपये का जीर्णोद्धार, और नीचे के जैन मंदिरों के लिये एक धेला नहीं, यह कैसा सबका साथ, सबका विकास?

अब कुछ दिन से सीढ़ियों को चौड़ा करने का कार्य चल रहा है। आज कल विकास के नाम पर, मानो सत्यानाश करने का कार्य चल रहा है। 16 जून को सीढ़ियों के दोनों ओर उकेरी हुई तीर्थंकर प्रतिमायें उखाड़ दी, तोड़ दी और कूड़े में फेंक दी गई। गजब! कैसा प्रशासन, कैसा महाकाली ट्रस्ट, क्या भगवान, श्रद्धा इनके लिए बेमानी हैं। आदि-वीर से राम-कृष्ण की धरा पर क्या कोई सोच सकता है कि ऐसा दिन भी देखने को मिलेगा। हां, 12-13वीं सदी में बाहर से आये थे मूर्ति भंजक, पर अब तो अपने ही बन गये विनाशक।

जैन समाज में बात फैली और श्वेताम्बर साधुओं की अगुवाई में धरना-प्रदर्शन और शांत आंदोलन, ज्ञापन देकर शुरू हो गया। एक बार फिर जैन सड़क पर आ गया, जैसे अब उसकी नीयत में केवल यही बचा है। सामने से हर बार नया तीर्थ निशाने पर और जैन निकलो सड़कों पर।

कब तक सहन करेंगे? यह कैसा दबाव-शोषण? संत कलेक्टर आफिस के सामने बैठ गये, सैकड़ों से हजारों हो गये जैन, 24 घंटे में सब ठीक करो, वर्ना अगला कदम उठाएंगे। पालीताणा के घाव भरे नहीं, गिरनार पर कोई आश्वासन नहीं, अब गुजरात में एक और तीर्थ, हजार वर्ष प्राचीन नेमिनाथ प्रतिमा को तोड़ा गया, फेंका गया। एएसआई बस कठपुतली बना रहा।

बिगड़ती बात देख गुजरात गृहमंत्री हर्ष संघवी ने कहा – ऐतिहासिक पावागढ़ के पहाड़ों पर कई जैन तीर्थंकर प्रतिमायें स्थापित की गई थी, किसी भी ट्रस्ट, संगठन या व्यक्ति को ऐसे ऐतिहासिक को ध्वस्त करने का अधिकार नहीं है। गुजरात के मुख्यमंत्री ने सुनिश्चित किया है कि जैन समाज की भावनाओं को ठेस ना पहुंचे। इन मूर्तियों को उनके मूल स्थान पर स्थापित किया जाना चाहिए... कुछ घंटों में, मूर्तियां पुन: स्थापित कर दी जाएंगी। और फिर जैन समाज पर मल्हम लगाना शुरू हुआ, दोबारा प्रतिमायें लगाने की कवायद के साथ। लगता है कि वह दिन ज्यादा दूर नहीं जब खण्डगिरि, मंदारगिरि से भी जैनों को ऐसे ही कुचला जाएगा।

कुछ समय पहले लगा दिये चक्षु, बदला रूप
कुछ समय पहले इस नेमिनाथ प्रतिमा पर चक्षु लगाकर बदला गया, इससे श्वेताम्बर समाज एक होकर खड़ा हो गया, वर्ना दिगम्बर तो शायद इतना विरोध भी नहीं कर पाते। डेढ़ सौ घर श्वेताम्बर और सात घर दिगम्बर समाज के।

यह था मूल प्रतिमा का स्वरूप हजार वर्ष से
सान्ध्य महालक्ष्मी यहां मूल प्रतिमा का रूप दिखा रहा है, जिसे चक्षु लगाकर बदला गया, महाकाली ट्रस्ट द्वारा उखाड़ कर फेंका गया। मत बदलो प्रतिमाओं को, जहां-जहां बदला, वहीं आपसी मनमुटाव – झगड़े हो रहे हैं और तीसरा कब्जे कर रहा है।

सान्ध्य महालक्ष्मी टिप्पणी
अब बंटना नहीं, एकजुट होना है। मिलकर खड़े रहोगे, जागते रहोगे, तो कोई आंख नहीं दिखा सकेगा। सांप काटना छोड़ दे, पर फुंकारना नहीं। जैन अहिंसा का पालन करें, पर डरपोक कायर नहीं। हर अन्याय का प्रतिकार करो। जो डर गया, वो समझो मर गया और जो खड़ा रहा, उसकी कोई तो सुनेगा।

(इसका पूरा विवरण चैनल महालक्ष्मी के ऐपिसोड नं. 2679 – ‘पावागढ़ : ऊपर विकास, नीचे सत्यानाश’, में देख सकते हैं। )