4 सितम्बर 2022/ भाद्रपद शुक्ल अष्टमी/चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
काली मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए गुजरात सरकार Rs.100 देती है, Rs.125 करोड़ काली मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए खर्च होते है.
परन्तु काली मंदिर के नजदीक ही पावागड़ के सात प्राचीन जैन मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए एक रूपए नही मिलते है. क्या गुजरात सरकार और केंद्र सरकार कों कों पता नही, उसी एरिया में प्राचीन जैन मंदिर है? करो नेताओं की वाह वाह, उठाओ नेता और राजनीतिक पार्टियों की चप्पल. गिरनार गया, पावागड़ मंदिर भी जाएगा, कुछ नही कर पाएंगे जैन..!
(एक दिन भविष्य में पैसे वालों के घर भी लुटे जाएंगे, कुछ नही कर पाएंगे).
हम जैन, जैन धर्म के हितों के बारेमे कम, हिन्दू, मुस्लिम, बीजेपी, कांग्रेस और आरएसएस के हितों के बारेमे ज्यादा सोचते है, और उनके वकीली करते है. जिस दिन से हम अपनी धर्म के संरक्षण और विकास के बारेमे सोचना चालू करेंगे उस दीन से हमारे प्राचीन मंदिरों का संरक्षण और विकास होगा..सभी जैन एक बात याद रखना चाहिए, हमारा क़ोई नही है, सब लोग अपने स्वार्थ के लिए काम कर रहे है. ना हिन्दू हमारा है, ना मुस्लमान, ना ईसाई, ना आरएसएस ना बीजेपी और ना कांग्रेस, ना प्रिय मोदी जी, ना राहुल गांधी….! जैन चाटुकारिता बंद कर देना चाहिए. हमने सब कुछ खो दिया है, जो कुछ बचा है, वो भी हमारे हाथो से निकल जाएगा…!
क्यों की हम दोगले लोग है, हमको धर्म के हितों से ज्यादा निजी स्वार्थ ज्यादा प्यारा है. जैन दलाल और पाखंडी बन चुके है. क़ोई बीजेपी और आरएसएस का दलाली करता है, क़ोई हिन्दुओं का करता है, क़ोई सर्व धर्म सम भाव का दलाली करता है, तो क़ोई मोदी का तो क़ोई राहुल गाँधी का, कोन है जो जैन धर्म के हितों का सोच ता है.? जो जैन धर्म के नेता है, वे तो पार्टियों का चपला उठाते है. हिन्दुओं का ठेका जैन क्यों लेना चाहिए.? हिन्दुओं के बारे मे सोचने के लिए 100 करोड़ है, जैन अपना खुद का अस्तित्व बचाले यही काफ़ी है.
काली मंदिर कों Rs.100 करोड़ मिलते है तो, उसके नजदीक के पावागड़ के सात प्राचीन जैन मंदिरों जीर्णोद्धार सरकार क्यों नही पैसे देना चाहिए, थोड़ा सोचियेगा….?
जैन कमजोर नहीं है, जैन समाज के दोगले पाखंडी ठेकेदार, जैन नेता, दोगले विचारों के है, इसलिए जैन धर्म का यह हाल है..!
महेश जैन, International Jain Revolution Forum (एक सोशल मीडिया पोस्ट से)