॰ हर दिगंबर जैन एक रुपया रोज इकट्ठा करें, तो 180 करोड़ हर साल मिलेंगे तीर्थक्षेत्र कमेटी को
॰ चैनल महालक्ष्मी की तरह तेज पत्रकार की जरूरत है आज
7 अप्रैल 2025 / चैत्र शुक्ल दशमी /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन /
भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी के आगामी शतकोत्तर रजत स्थापना वर्ष की ओर आगे बढ़ते हुए अशोक नगर, मध्य प्रदेश के चंदेरी तीर्थ पर 2-3 अप्रैल 2025 को जैन पत्रकार सम्मेलन अखिल भारतीय जैन पत्र संपादक संघ द्वारा आयोजित किया गया। 12 साल बाद तीर्थक्षेत्र कमेटी का यह पहला पत्रकार सम्मेलन है।
इस सम्मेलन में प्रात: स्मरणीय वंदनीय आचार्य श्री 108 विद्या सागर जी महामुनिराज के सुयोग्य शिष्य मुनि श्री 108 महासागर जी मुनिराज का परम सान्निध्य प्राप्त हुआ।
उन्होंने देश भर से आए पत्रकारों को आह्वान करते हुए कहा कि आज प्रिंट व इलैक्ट्रॉनिक मीडिया से तेज सोशल मीडिया सभी को जैन समाचार पहुंचा रहे है, यहां देश भर के पत्रकार एकत्रित हुए है और यह कहना सही होगा कि आज सोशल मीडिया ज्यादा एक्टिव हो गया है और उसे अपनी जिम्मेदारियों का पूरी गंभीरता के साथ निर्वहन करना होगा, आज जैन समाज में कहीं कोई घटना होती है उसे चैनल महालक्ष्मी तुरंत ही पूरे देश में ही नहीं, विदेश में भी पहुंचा देता है। इसी तरह की पत्रकारिता आज जैन समाज में आवश्यक है। मुनिश्री ने कहा कि गोताखोर जितनी ऊंचाई से पानी में कूदता है, वह उतनी ही ज्यादा गहराई में जाता है, इसलिए जैन पत्रकारों को संसार की ऊंचाई में पहुंचने की बहुत कोशिश नहीं करनी चाहिए।
तीर्थों की सुरक्षा बड़ा प्रश्न
पूरे जैन समाज का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि आज सरकार हमारी गिनती 44-45 लाख की ही गिनती है, जबकि हम स्वयं को एक करोड़ भी मान लें, तो भी उसमें दिगंबर जैनों की संख्या पचास लाख तो होगी ही और वर्तमान में प्राचीन तीर्थों की सुरक्षा बहुत बड़ा प्रश्न बन गया है।
रोज एक रुपया, 5 सालों में 700 करोड़
अगर सभी जैन भाई एक छोटा सा ही संकल्प ले ले कि अपने प्राचीन तीर्थों के जीर्णोद्धार के लिए न्यूनतम 1 रुपया प्रतिदिन दान राशि निकलेगा, तो यह राशि 50 लाख प्रतिदिन के अनुसार वर्ष भर में लगभग 180 करोड़ होती है और यह राशि अलग-अलग संस्थाओं के स्थान पर तीर्थों के जीर्णोद्धार में लगी एकमात्र संस्था में जमा करवाई जाए, जो कि वर्तमान में भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी है। मात्र 5 वर्षों में यह राशि 700 करोड़ से ऊपर पहुंच जाएगी, जिससे हमारे सभी प्राचीन तीर्थों का जीर्णोद्धार आसानी से हो जाएगा।
उन्होंने आगे कहा कि समाज अब भी नहीं जगा, तो 30-40 वर्षों में ही जैन संस्कृति का इस पंचम काल में कुछ समय के लिए विलोप हो जाएगा।
उन्होंने पत्रकारों व समाज के लिए कई बिंदुओं पर प्रकाश डाला इस पत्रकार सम्मेलन की अध्यक्षता तीर्थक्षेत्र कमेटी के पूर्वाध्यक्ष श्री सुधीर जी सिंघई ने की, संयोजक मध्यांचल के आंचलिक अध्यक्ष श्री डी. के. जैन, इंदौर रहे तथा मंच पर आसीन श्री शैलेन्द्र जैन एडवोकेट अलीगढ़, डॉ. अखिल बंसल जयपुर, श्री प्रदीप जैन रायपुर तथा श्री संतोष जी घड़ी सागर ने भी महत्वपूर्ण जानकारियां व सुझाव दिए। मीनू जैन, गाजियाबाद ने शुरूआती सत्र में तीर्थ क्षेत्र कमेटी की प्रमुख उपलब्धियों व योजनाओं के विषय में अवगत करवाया।
पत्रकारों को तीन बड़े पुरस्कारों की घोषणा
चैनल महालक्ष्मी के शरद जैन ने तीर्थक्षेत्र कमेटी की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जम्बू प्रसाद जैन, राष्ट्रीय महामंत्री श्री संतोष जी पेंढारी तथा 125वें स्थापना वर्ष समिति के अध्यक्ष श्री जवाहर लाल जैन द्वारा घोषित विभिन्न अपेक्षाओं व सूचनाओं की जानकारी देते हुए कहा कि इस दिशा में 22 अक्टूबर 2027 तक लगभग 10 पत्रकार सम्मेलनों का आयोजन किया जाएगा और समापन समारोह में पत्रकारों को प्रोत्साहन के रूप में 51000, 31000, 21000 हजार रुपए के प्रथम द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार तथा 10 सांत्वना पुरस्कार 2100 रु. प्रत्येक के रखे हैं। कुल मिला कर लगभग सवा लाख रुपए के पुरस्कार पत्रकारों को दिए जाएंगे, यही नहीं न्यूनतम पांच मौलिक लेख अथवा मौलिक रील बनाने वाले प्रत्येक पत्रकार को अभिनंदन पत्र भी दिया जाएगा।
पत्रकारों के सुझाव
सभी पत्रकारों द्वारा विभिन्न विषयों पर तीर्थ सुरक्षा को आधार मानते हुए तीर्थक्षेत्र कमेटी की ओर से चैनल महालक्ष्मी के शरद जैन ने सम्मेलन के समापन पर निम्न बिंदुओं पर प्रकाश डाला।
॰ पंचकल्याणको में 5 से 10 प्रतिशत की राशि प्राचीन तीर्थों के जीर्णोद्धार के लिए रखी जानी चाहिए।
॰ चातुर्मास में तीर्थ संरक्षण के लिए एक अलग कलश की स्थापना करनी चाहिए।
॰ हर जिनालय में तीर्थ क्षेत्र कमेटी की गुल्लक रखी जानी चाहिए।
॰ प्राचीन तीर्थों पर प्रभावशाली संतों के चातुर्मास आयोजित किए जाने चाहिए।
॰ सभी तीर्थों पर एक शिलालेख लगवाना चाहिए कि यह तीर्थ भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी से संबंधित है।
॰ चातुर्मास के दौरान उपस्थित संतों के सान्निध्य में तीर्थ संरक्षण से संबंधित कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए।
॰ तीर्थक्षेत्र कमेटी सिद्ध क्षेत्र व अतिशय क्षेत्रों के क्राइटेरिया स्पष्ट करे।
॰ तीर्थ क्षेत्रों के मसले सुलझाने के लिए सुयोग्य वकीलों का एक पैनल बनाना चाहिए जो नि:शुल्क सेवा प्रदान कर सके।
॰ तीर्थों को जीवंत रखने के लिए उनके साथ औषधालय व विद्यालय खोले जाने चाहिए।
॰ तीर्थों को अपने सभी डॉक्यूमेंट यथाशीघ्र पूरे कर लेने चाहिए तथा हर तीर्थ की बाउंड्रीबॉल जरूरी हो।
॰ तीर्थ यात्राएं समय-समय पर कर के ही, हम तीर्थों को सुरक्षित बना सकते हंै।
॰ तीर्थक्षेत्र कमेटी का हैड आफिस मुंबई से दिल्ली स्थानांदरित होना चाहिए।
॰ श्रावकों को तीर्थ क्षेत्र कमेटी के लिए सुख-दुख के अवसरों पर दानों की घोषणा की जानी चाहिए।
सबको चेताने वाला पत्रकार
तीर्थ क्षेत्र कमेटी के पूर्व अध्यक्ष सुधीर सिंघई जी ने कहा कि पत्रकार ही समाज को, सरकार को, प्रशासन को, इन सबको चेता सकता है। ऐसे सम्मेलनों से, भटकाव की ओर बढ़ रहे समाज के राष्ट्रीय मुद्दे उठाने चाहिए। समाज को सही रास्ते पर लाना है। पिछले 70 सालों से अधिक, केवल तीर्थ क्षेत्र कमेटी ही मुकदमों को लड़ते हुए, अपने तीर्थों को बचाने में सफल खड़ी हुई है। मुनिश्री आर्यनंदी महाराज जी ने गुरु आज्ञा का पालन करते हुए हजारों किलोमीटर पैदल चलकर तीर्थक्षेत्र कमेटी के लिए, इन मुकदमों को लड़ने हेतु बहुत बड़ा सहयोग दिया है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि जब तक हम संतवाद, पंथवाद में हम सिंघई, गोयल, पालीवाल, कासलीवाल, नैनार, अग्रवाल आदि में बनते हैं, तब तक ऐसे ही छिन्न-भिन्न रहकर हम अपनी संस्कृति को बचा नहीं पाएंगे। हम जैन नहीं है, तुम पारिख हो, शाह हो। अपना उदाहरण देते हुए बताया कि हमारे बाबा 11 भाई थे, पिताजी पांच भाई, हम चार भाई, हमारे दो बेटे, वो भी बाहर, अब कैसे कह दूं कि मैं जैन हूं। वोटो की राजनीति इस कदर हावी हो रही है कि आने वाले समय में हमारी बहू-बेटियों की इज्जत बचाना भी मुश्किल हो जाएगा। हम इतिहास से सबक नहीं लेते। आज नाम में, धर्म में जैन नहीं लिखते, तो ध्यान रखना हम 20 लाख भी गिनती नहीं पहुंचा पाएंगे। अब बातें बहुत कर ली, कुछ करके दिखाना होगा।
धरा बेच देंगे, चमन बेच देंगे, गगन बेच देंगे,
ये कलम के पुजारी अगर सो गए तो, इस देश के नेता वतन बेच देंगे।
अनुपयोगी सामाग्री से जीर्णोद्धार
मध्यांचल के अध्यक्ष डी के जैन ने जानकारी दी कि वर्तमान में विभिन्न घरों से अनुपयोगी सामग्री एकत्रित करके आज 10 लाख की राशि एकत्रित कर तीर्थों के जीर्णोद्धार में लगा दी है और अब इसी कड़ी में इंदौर के 1000 घरों में इस को शुरू करने की योजना है।
विभिन्न पत्रकारों ने अपने सुझाव इस सम्मेलन के माध्यम से रखें :-
॰ जिनेश कोठिया जी ने कहा कि ऐसा नहीं है कि सरकार से सहयोग नहीं लिया जा सकता, हमें मेहनत करनी पड़ेगी और थोड़ी कठिनाई भी है, पर असंभव नहीं। आहार जी तीर्थ के लिए तीन करोड़ रुपए सहयोग लिया जा चुका है और अब नैनागिरी के लिए प्रोजेक्ट रिपोर्ट सरकार के पास सौंपने की तैयारी है।
॰ सुरेंद्र कुमार जी भगवां ने कहा की तीर्थों के संरक्षण के लिए आज आर्थिक सहयोग हेतु, तीर्थ क्षेत्र कमेटी के हाथ मजबूत करने होंगे। 1914 में एक निर्देशिका बनाई गई थी, लेकिन उसके बाद कोई कार्य नहीं हुआ। बलभद्र जी द्वारा बनाई गई अनोखी जानकारी पुस्तक पर भी आगे कार्य होना चाहिए।
॰ डॉक्टर सुशील जैन ने कहा कि जैन संविधान, जैन फेडरेशन और जैन आचार संहिता बननी चाहिए। जैन संस्कृति की सुरक्षा के लिए शिलालेखों को लिखकर जमीन में गड़वाना होगा। लौकिक शिक्षा के साथ धार्मिक व जैन दर्शन की भी शिक्षा जरूरी है।
॰ विकास जैन, बानपुर ने कहा कि तीर्थों को जीवंत करने के लिए उनके साथ विद्यालय भी खुले, जैसा इस अवसर पर आहार जी में संस्कारशाला, बच्चों को संस्कारित करने के उद्घाटन किया गया। उन्होंने कहा कि बानपुर में जब उन्होंने स्कूल खोला, तब वहां के लोगों ने कहा कि अगर यह स्कूल ना खोला होता, तो जैनों को मार दिया होता, क्योंकि हमें जैनों के कार्यों के बारे में जानकारी ही नहीं थी। उन्होंने स्पष्ट यह भी कहा कि आप जिनालयों के पास जहां भी शिक्षालय खोलेंगे, मैं उसमें पूरी सेवा दूंगा और मुझे उसके लिए एक पैसा भी नहीं चाहिए।
॰ विजय जी ने कहा कि तमिलनाडु में लगभग सभी तीर्थों ने बाउंड्री वॉल बना रखी है और उस कारण ही वे आज सुरक्षित हैं। अन्य क्षेत्रों में इस पर अगुवाई करनी चाहिए। प्रतिमाओं के फोटोग्राफ प्रशस्ति आदि के पूरे रिकॉर्ड को मेंटेन करना चाहिए। दान व्यवस्था के लिए डिजिटाइजेशन होना आवश्यक है।
॰ श्रेयांश जैन जी ने कहा कि स्थानीय कमेटियों में टीम पावरफुल होनी चाहिए। तीर्थक्षेत्र कमेटी के मुख्य कार्यालय को मुंबई की जगह दिल्ली में स्थानांतरित कर, अधिक सफलता कार्यों में प्राप्त की जा सकती है। तीर्थों की कमेटियों को प्रबंधन में आ रही कमियों को दूर करने की आवश्यकता है।
॰ नरेंद्र कुमार जैन ने कहा कि सभी साधुओं से अनुरोध किया जाए कि पंचकल्याणको में 5 से 10 फीसदी राशि पुराने तीर्थों के संरक्षण के लिए रखी जाए, आगे के तीर्थ भी तभी बच पाएंगे। हमें श्वेतांबरों भाइयों से भी इस बारे में सीख लेनी होगी। पुराने तीर्थों की प्रमाणिकता को सिद्ध करने के लिए, पूरे रिकॉर्ड रखे जाएं। सिद्ध और अतिशय श्रेत्रों के क्राइटेरिया व मानक बनाई जाए।
॰ संपादक संघ के अध्यक्ष शैलेंद्र जैन ने कहा कि हम कई जगह केस जीत चुके, पर उन्हें लागू कौन कराए? चाहे वह केसरिया जी हो, चाहे गिरनार जी हो, आज अचल तीर्थों से पहले हमें जिनालयों में जाने वाले इंसानों को तैयार करना होगा, तभी हमारे जिनालय सुरक्षित रह पाएंगे।
॰ डॉक्टर अखिल जैन बंसल ने कहा कि वर्तमान में पत्रकारों की उपयोगिता और सहभागिता बहुत जरूरी हो गई है। उनका हमें पूरा सदुपयोग तीर्थों के संरक्षण में करना चाहिए।
॰ अक्षत जैन ने कहा कि बुंदेलखंड में करोड़ों के मूल्य से तीर्थ बन रहे हैं। पुरातत्व के बोर्ड हट नहीं रहे हैं, जिससे उनका विकास नहीं हो रहा। हमें हर तीर्थ पर बोर्ड लगाने चाहिए कि संबंधित तीर्थ भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी से संबंधित है।
॰ जयेंद्र जैन निप्पु ने कहा कि श्रम, शक्ति और धन तीनों का उपयोग करना होगा। युवा नौकरियां के लिए भटक रहा है। अपना वर्चस्व बनाना होगा। तीर्थ यात्रायें करनी होगी। बच्चों को संस्कार देने होंगे। पूजा, अभिषेक तीर्थ पर करें। तीर्थ क्षेत्र पर पहुंचे। अब बोलने से नहीं, कुछ कर कर दिखाना होगा।
॰ संदीप जैन ने दो पंक्तियों से शुरूआत की कि सियासत का मसीहा ही जुआरी हो गया ,जो शराबी था, वह मूर्तियों का पुजारी हो गया। आज केंद्र से हम क्या उम्मीद करें, हमें खुद ही अपना वर्चस्व प्राप्त करना होगा, मिलकर कुछ काम करना होगा।
॰ दैनिक विश्व परिवार के संपादक प्रदीप जैन ने कहा कि तीर्थक्षेत्र कमेटी और पत्र संपादक संघ ने मिलकर, जो एक होकर यह रास्ता चुना है, यह सफलता के नए कदम चूमेगा, कमेटियों के पदाधिकारी नियमित कार्यक्रम करें। साधु संत चातुमार्सों में तीर्थ सुरक्षा कलश की स्थापना करें। जब भी घरों में सुख के या दुख के कार्यक्रम होते हैं, उनमें दान घोषित किया जाता है, वह तीर्थक्षेत्र कमेटी को दिया जाए। अपने-अपने क्षेत्र के मंदिरों में तीर्थ क्षेत्र कमेटी की गुल्लक रखी जाए, उसमें किसी का हिस्सा ना हो, वह केवल तीर्थों के जीर्णोद्धार के लिए हो। आज हम साधुओं के आहार, विहार की समस्या देख रहे हैं, तीर्थ क्षेत्र कमेटी इसका एक प्लेटफार्म तैयार करें और वह विश्वस्त होना चाहिए।
॰ राजकुमार घाटे जी इंदौर ने कहा कि युवा शक्ति बहुत दूर है, एक सम्मेलन युवाओं के लिए दिल्ली, बेंगलुरु आदि में भी किया जाना चाहिए। आईटी सेक्टर की टीम बननी चाहिए। उनमें भी जागृति लानी होगी। अपनी सही गिनती बताकर अपनी शक्ति दिखाएं।
॰ शांति कुमार पाटिल ने कहा कि सभी कमेटी के कार्यों में सहयोग करें। अल्पसंख्यक आयोग के लिए कागज पूरे कर कर दे। हम झगड़ा होने के बाद कागज ढूंढने लगते हैं। युवा जुड़ेंगे तो तीर्थ सुरक्षित रहेंगे। वहां धार्मिक शिविरों का आयोजन होना चाहिए, विद्यालय होने पर तीर्थ जीवंत रहते हैं। तीर्थ यात्राएं निकाले। तीर्थों पर जन्म उत्सव आदि करें।
॰ डॉक्टर मनोज जैन निर्लिप्त ने कहा कि पुराने शास्त्रों का पुन: प्रकाशन, संरक्षण भी होना चाहिए। पुराने तीर्थ के संरक्षण, तीर्थ के स्वामित्व दस्तावेज भी पूरे होने चाहिए। अगर वह किसी पारिवारिक नाम पर है, तो वह तीर्थक्षेत्र कमेटी के नाम कर दिए जाएं। अपने तीर्थ पर अन्य मतवालंबियों की घुसपैठ को रोक और जैनत्व के संस्कार आवश्यक है। जैनों का संख्या बल आज जरूरी है। हमें भाव हिंसा नहीं करनी, पर विरोधी हिंसा अपनी सुरक्षा के लिए करने से रुकना नहीं चाहिए।
॰ राजीव जैन ने कहा कि अवैध अतिक्रमण, तोड़फोड़ की रिपोर्टिंग करनी होगी। घटना को उजागर कर प्रशासन तक पहुंचाना होगा। सरकार, प्रशासन पर न्याय के लिए दबाव बनाना होगा। तीर्थों के लिए जागरुकता जरूरी है। तीर्थयात्रियों व स्थानीय लोगों को शिक्षित करना होगा। तीर्थ की प्राचीन स्थापत्य कला को उजागर करना होगा। पुरातत्व के बोर्ड अगर हैं, तो वह लगे रहने चाहिए। पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जागरूकता, वृक्षारोपण जल संरक्षण, शुद्ध पेयजल, शौचालय की व्यवस्था, धार्मिक पर्यटन, डिजिटलाइजेशन, आॅनलाइन जागरूकता, स्थानीय समुदायों की भागीदारी, जैव विविधता का संरक्षण पर भी हमको ध्यान में रखना होगा।
॰ कल्पना जैन ने हर परिवार में णमोकार जाप पर जोर दिया, सड़कों पर अपनी शक्ति दिखानी होगी। मंदिरों में हो रही बोलियां का 10 फीसदी तीर्थ सुरक्षा के लिए रखना चाहिए। गुल्लक योजना का प्रचार करना होगा। संतों के भी संबोधन की आवश्यकता है। तीर्थों को गोद लेने की प्रेरणा देनी होगी। युवाओं और बच्चों को जोड़ें, उनको सम्मानित कर उत्साहवर्धन करें। यह काम पत्रकारों को आगे बढ़कर करना होगा। पाठशाला में उन्हें जोड़ना होगा।
दो दिवसीय पत्रकार सम्मेलन का संचालन तीर्थक्षेत्र कमेटी की ओर से चैनल महालक्ष्मी के शरद जैन ने बखूबी किया। उन्होंने अपने संबोधन में स्पष्ट रूप से कहा कि आज जब समाज संतवाद पंथवाद में बंट रहा है, वहीं पत्रकार भी अपने-अपने अलग-अलग घटकों में बटेंगे, तो समाज का उद्धार नहीं हो पाएगा। जब तीर्थ की सुरक्षा, उनके संरक्षण विकास की बात हो, जब तीर्थ क्षेत्र कमेटी की अगुवाई में आगे चलने की बात हो, तो सभी पत्रकारों को अपने भेद मिटाकर, हम सबको एक साथ होकर आगे आना होगा। आज इस पत्रकार सम्मेलन में अगर 61 पत्रकार विभिन्न राज्यों से आए हैं, अगले पत्रकार सम्मेलनों में यह संख्या 100 से ऊपर होनी चाहिए और दसवें सम्मेलन तक हमें 300 पत्रकार एक स्थान पर इकट्ठे करके, अपनी ताकत को प्रदर्शित करना होगा, क्योंकि अगर लोकतंत्र का पत्रकार चौथा स्तंभ है, तो वह जैन समाज के लिए भी एक मजबूत स्तंभ ही साबित होगा। आज विभिन्न तीर्थों पर जो दिक्कतें आ रही हैं, उनकी आवाज उठाने में पत्रकार अपनी कलम को तलवार बनाकर आगे ला सकता है। पत्रकार अगर अपनी शक्ति का सही उपयोग करें, तो वह दिन दूर नहीं जब हम समाज में विखंडता को दूर कर सकते हैं, युवाओं को जोड़ सकते हैं, संतों से अनुरोध कर सकते हैं। यह मंजिल दूर हो सकती है, पर असंभव नहीं। जब इस ओर कदम बढ़ाए जाएंगे, मिलकर बढ़ाएंगे, तो हर मुश्किल आसान हो सकती है। पत्रकारों के लिए कई पुरस्कारों की घोषणा की।
उन्होंने आगे कहा कि पूजनीय मुनि श्री महासागर जी का भी बहुत-बहुत धन्यवाद और नमोस्तु अर्पित करता हूं, क्योंकि उन्होंने तीर्थ क्षेत्र कमेटी की ओर से मेरे एक अनुरोध पर सहर्ष अपनी उपस्थिति ही नहीं दी, बल्कि पत्रकारों को वह उद्बोधन दिया , जिससे वे समाज को एक सही रास्ते पर प्रशस्त कर सकेंगे। उनका उद्बोधन सभी के लिए प्रेरक बनेगा यही आशा करता हूं।
तीर्थक्षेत्र कमेटी ने इस सफल प्रथम जैन पत्रकार सम्मेलन के आयोजन के लिए अखिल भारतीय जैन पत्र संपादक संघ का हार्दिक आभार व्यक्त किया तथा दूसरा सम्मेलन रायपुर में 16 व 17 अगस्त को तथा तीसरा सम्मेलन 12 व 13 अक्तूबर को आचार्य श्री प्रमुख सागर जी के सान्निध्य में करने की संभावित घोषणा की।