10 अप्रैल 2022//चैत्र शुक्ल नवमी /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/
●500 वर्ष प्राचीन पटना गुरारा जैन मंदिर का क्या है इतिहास!
पटना सिटी: लंगूर गली स्थित श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन गुरारा मंदिर का जीर्णोद्धार 1864 ई• में कराई गई थी कालचक्र के अंतराल में मंदिर काफी जीर्ण हो चुका था। जिसकी संरचना एक खण्डर के रूप में परिवर्तित हो चुकी थी। इस मंदिर के स्वामित्व को लेकर काफी दिनों से मुकदमा भी चल रहा था जो जैन समाज के प्रयास से शांतिपूर्वक निपटारा हो गया। एक जानकारी और मिलती है कि इस मंदिर की मुख्य वेदी पर पार्श्वनाथ स्वामी की प्रतिमा विराजमान थी और मंदिर का चमत्कार भी काफी था। मूल वेदी की प्रतिमा को किसी कारणवश प्रभावी लोग के द्वारा झारखंड के पारसनाथ स्थित नीमिया घाट जैन मंदिर में स्थानांतरित कर दिया गया। इससे पटना सिटी के जैन समाज काफी मर्माहत भी हुए थे। उसी समय से ऐसा काल आया कि पटना सिटी से जैन समाज का पलायन शुरू हो गया। एक समय पटना सिटी में प्रभावी जैन समाज का बोलबाला था। यह काफी चिंतनीय बात रही। बदलते समय के साथ जैन समाज की चेतना जागी और इस मंदिर पर उनका ध्यान आकर्षित हुआ। तभी से इस मंदिर को विकास की ओर ले जाना है ऐसा संकल्प लिया गया।
विधि-विधान के साथ पुरानी वेदी पर रखी जिन प्रतिमाओं को स्थानांतरित श्री दिगम्बर जैन पंचायती मंदिर, खाजेकलां में समोशरण बनाकर दूसरी वेदी पर सभी प्रतिमा जी को नियमानुसार विराजमान कराया गया। उसके पश्चात पुरानी वेदी को खंडित कर जीर्णोद्धार कार्य प्रारंभ कराया गया। इस मंदिर के अंदर पद्मावती माता की भी वेदी निर्मित थी। जिसे चमत्कारी पद्मावती के नाम से जानते है। श्री दिगम्बर जैन पंचायत, पटना के अंतर्गत जीर्णोद्वार और निर्माण कार्य सम्पन्न हुए इस मंदिर के प्रति समाज की श्रद्धा, लगन काफी उत्साहित रहा है। और आज करीब 4 वर्षों बाद भव्य ऐतिहासिक जैन मंदिर बनकर तैयार हो गया। इसका इतिहास करीब 500 वर्ष अतिप्राचीन है। जिसमें 11वीं, 12 वीं और 15 वीं शताब्दी के साथ अन्य दर्जनों प्राचीन प्रतिमाएं है।
बता दें कि मुनि श्री 108 प्रमाण सागर जी महाराज की प्रेरणा से जीर्णोद्धार हुई इस मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा भी उन्ही के ससंघ मंगल सानिध्य में 14-20 अप्रैल तक सानंद सम्पन्न कराया जाएगा।
: प्रवीण जैन (पटना)