पर्युषण यानि हाई स्पीड ड्राईक्लीनिंग – बाहर से नहीं, अंदर से : बाहर की ड्राईक्लीनिंग – दूसरों को दिखाने के लिये , भीतर की विभाव की कालिख की धुलाई

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सान्ध्य महालक्ष्मी / 18 सितंबर 2021
वर्तमान में हर वस्तु को अलग रूप में, आकर्षक रूप से पेश करने का प्रचलन शुरु हो गया, जितना आकर्षण होगा, उतनी ही अधिक पहुंच। इसीलिये आपके पास पयुर्षण को ड्राईक्लीनिंग के आइने से देखने की कोशिश की है।

ड्राईक्लीनिंग भी धुलाई का ही प्रोसेस है, कपड़ों की धुलाई घर पर रोज ही होती है, पर जब उसमें चमक लानी हो, जड़ से साफ करना हो, अलग पहचान दिखानी हो तो सूट से शर्ट तक के लिए, ड्राईक्लीनिंग का सहारा लिया जाता है। उसी तरह नहाते – कपड़े पहनते तो रोज हैं, पर जब किसी शादी पार्टी में जाना हो तो नहाना भी खास, खुशबू भी खास और कपड़े भी खास हो जाते हैं। बस इसी तरह पर्युषण के 8-10-18 दिन का है, अपनी अंदर-बाहर से हाइस्पीड ड्राईक्लीनिंग।

बाहर की ड्राईक्लीनिंग – दूसरों को दिखाने के लिये होती है, बाहर की विशेष धुलाई होती है और पयुर्षण रूपी हाईस्पीड ड्राईक्लीनिंग अपनी भीतर की स्वच्छता को इंगित करती है। पुन: मूल में पहुंचने की कोशिश। विभाव की कालिख की धुलाई का, स्वभाव में आने का एक गंभीर प्रयास।

बस यही से एक सवाल शुरू होता है कि हर खास मौकों पर कपड़ों की ड्राईक्लीनिंग करवाने लोगों ने अपनी इस पर्युषण में कितनी हाइस्पीड ड्राईक्लीनिंग की। यह पयुर्षण भी एक हाईस्पीड ड्राईक्लीनिंग स्टोर है, जिसमें 10 दौरों से गुजरना पड़ता है। उनमें पहले चार प्रोसेस ज्यादा महत्वपूर्ण है, अगर उन प्रक्रियाओं से सही रूप से गुजर गये, तो शेष में सफाई, तो आराम से हो जाती है। पहले चार क्रोध, मान, माया, लोभ इनकी हाई स्पीड से सफाई करना और अपनी ओरिजनेलिटी में आना, अपने मूल स्वभाव में आना। वैसे यह सफाई 8-10-18 दिन नहीं, 365 दिन की जा सकती है, की जाती है, पर हाईस्पीड से करने के लिये पर्युषण खास है, इसीलिये कहा है – हाइस्पीड ड्राईक्लीनिंग।

रोजाना नार्मल और इन दिनों में विशेष कैसे होती है? इसके भी कई कारण है, इन दिनों में संतों के प्रवचन, मंदिरों में विशेष पूजा उत्साह, व्रत उपवास की भावना कुछ ऐसे प्रोसेसिंग एलिमेंट हैं, जो पयुर्षण को स्वयं की हाईस्पीड ड्राईक्लीनिंग का दर्जा देते हैं। कपड़ों की ड्राईक्लीनिंग तो अब तक अनेकों बार की, अनकों बार अपने को खास बनने की कोशिश की, हां यही ‘अंदर’ की बात है।

आप पढ़ कर चौंक सकते हैं, पर ऐसा दुनिया में एक भी व्यक्ति नहीं है, जो दसलक्षण के दस धर्मों को दिन में कभी न कभी ना अपनाता हो। जी हां, हकीकत है, दूसरे से क्यों, अपने से ही चैक करना शुरू कर लीजिए।

मसलन आपने दिन में कुछ बार तो सच बोला होगा। आप हर समय तो झूठ नहीं बोलते, नहीं ना। चलिये एक धर्म तो हो गया ना, क्या आप हर समय गुस्सा करते हैं? चाहे काफी गुस्सैल हो, तब भी कभी ना कभी शांत रहते होंगे। इसी तरह कितने भी घमण्डी हो, तब भी कभी तो नाक नीचे रखते ही होंगे। चाहे कितने भी लालची हों, किसी क्षण तो संतोष रखते होंगे। जितना भी परिग्रह हो, चाहे पचास जोड़ी कपड़े हो, फिर भी एक सीमा तो है। कभी मान भी लिया करो जी, कि आप भी ना चाहते हुए दस में से कुछ का रोजाना, कभी ना कभी पालन तो कर ही लेते हैं। ऐसा दूसरे के साथ भी है, सब के साथ है। बस इसी कभी ना कभी को, स्थायित्व करने, लंबी अवधि तक रखने का नाम है पयुर्षण जो इस हाईस्पीड ड्राईक्लीनिंग से हम सब कर सकते हैं, करने का प्रयास करते हैं।

पर हकीकत में क्या हम इस हाईस्पीड ड्राईक्लीनिंग के प्रोसेस से गुजरने की गंभीरता से कोशिश भी करते हैं? आपका दावा हो सकता है कि करते हैं। आपकी बात ही मान लेते हैं और आपके दावे की परीक्षा पयुर्षण समाप्ति के 48 घंटे में ही हो जाती है, आप कह सकते हैं कैसे?

जी हां, बस 48 घंटे बाद आता है वह दिन, जब आपकी परीक्षा होती है, आपका विरोध करने वाले, बुरा करने वालों को क्षमा करने का बड़प्पन दिखाना और जिनसे आपने गलत व्यवहार किया, बुरा भला कहा, उनसे क्षमा मांगकर झुककर, अपना कद बढ़ाना। अब तक परिजनों से, मित्रों से, उन सबसे क्षमा के शब्द तो कहते आये हैं, यह तो केवल उसी मृगरीचिका के समान है, जैसा तपन भरी सड़क पर हिरण को पानी का आभास देती है।

सार्थक करें अपनी हाइस्पीड ड्राईक्लीनिंग को, प्रमाणित करें, आपने भीतरी सफाई की, परीक्षा में पास होने का मन है तो क्षमा कीजिये अपने से बुरा करने वालों को और क्षमा मांगिये उनसे, जिनके लिये आपने अच्छा नहीं किया। हां, ऊपर से नहीं, हृदय से, तभी यह पयुर्षण रूपी हाईस्पीड ड्राईक्लीनिंग सार्थक होगी।

– शरद जैन, संपादक

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