त्यौहार भोग प्रधान है,पर्व त्याग प्रधान है ।
त्यौहार से मोहनीय-कर्म का बंध होता है ,
पर्व से मोहनीय-कर्म का नाश होता है ।
त्यौहार से भौतिक आनंद मिलता है ,
पर्व से आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति होती है।
त्यौहार से व्यापारी वर्ग प्रसन्न होता है ,
पर्व पर आराधक ,साधना कर कर्म खपाता है।
त्यौहार पर घर सजाते है ,पर्व पर जिनालय
त्यौहार पर जीव मौज-मस्ति कर, कर्म-बंध करता है ,
पर्व पर जीव–तप,त्याग,आराधना साधना कर जीवन निर्मल बनाता है ।
त्यौहार पर पापवृति का अवसर बनता है ,
पर्व पर पापो की आलोचना कर प्रायश्चित लेता है ।
हे ज्ञानी…
इस जीवन मे प्रमाद को त्याग कर पर्व मनाओ..