राष्ट्रपति जी को पत्र -श्री सम्मेद शिखर तीर्थ क्षेत्र को जैन पवित्र तीर्थ क्षेत्र घोषित किया जाये और पारसनाथ वन्य जीव अभ्यारण्य व पारिस्थितिकी संवेदी जोन अधिसूचना वापस लीजिये

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20 जून 2022/ आषाढ़ कृष्ण सप्तमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/

आदरणीय श्री रामनाथ कोविंद जी, माननीय राष्ट्रपति

विषय – श्री सम्मेद शिखर तीर्थ क्षेत्र को जैन पवित्र तीर्थ क्षेत्र घोषित किया जाये और पारसनाथ वन्य जीव अभ्यारण्य व पारसनाथ वन्य जीव अभ्यारण्य पारिस्थितिकी संवेदी जोन अधिसूचनाएं वापस लेने हेतु


देश के प्रथम नागरिक को सकल जैन समाज की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं कि आपके द्वारा अपने लगभग 5 वर्षीय कार्यकाल में राष्ट्र के गौरव को नई ऊंचाई तक बढ़ाया। 130 करोड़ भारतीय परिवार के मुखिया से आज अहिंसावादी, शांतिप्रिय जैन समाज आपसे विनम्र अनुरोध करता है कि हमारे सबसे पवित्र जैन तीर्थों में से एक व बीस तीर्थंकरों की निर्वाण भूमि पवित्र पर्वत श्री सम्मेद शिखरजी आपके राज्य झारखंड में स्थित है। हमारे लिये यह इतना पवित्र स्थान है कि यहां का कण-कण और रज हमारे लिये पूजनीय है।

मान्यवर, हम जैन समुदाय के लिये हमारे तीर्थ , पर्वत, मंदिर ऐसे स्थान होते हैं जहां हम चमड़े से बने सामान लेकर जाना भी घोर पाप का कारण मानते हैं।
लेकिन विगत कुछ वर्षों से देखने में आ रहा है कि वहां जाने वाले अजैन लोग अपने साथ इतने पवित्र स्थान पर वाईन, नॉनवेज, जूते, चप्पल और लैदर जैसी बहुत ही अशुद्ध और अपवित्र चीजें लेकर जा रहे हैं। पर्यटन के नाम पर ऐसी अवांछनीय गतिविधियां वहां दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही हैं।

माननीय महोदय ये एक ऐसा सिद्ध क्षेत्र है जहां जाकर जैन तीर्थंकरों ने सांसारिक जीवन को त्यागकर जन्म मरण से मुक्ति पायी थी और हम भी वहां जाकर उनकी तरह बनने की कामना करते हैं।
जैन धर्म शाकाहार, जीवदया और अहिंसा के लिये जाना जाता है। हम जैन लोग दूसरे व्यसनी और मांसाहारी लोगों को शाकाहारी और व्यसन मुक्त कर उनके जीवन को पवित्र बनाने की कोशिश करते हैं इसलिये यह हमारे लिये बिल्कुल बर्दाश्त से बाहर है कि उन्हीं पवित्र भूमि पर ऐसे व्यसनी और मांसाहारी लोग जाकर अपने जीवन को पवित्र बनाने के बजाय मौज – मस्ती, पार्टी और उच्छृंखल पूर्ण कार्य करें।

हम आपको बताना चाहेगें कि यह सब इसलिए हो रहा है कि 21 अगस्त, 1984 को तत्कालीन बिहार सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर हमारे पवित्र क्षेत्र को पारसनाथ वन्यजीव अभयारण्य घोषित कर दिया था और अब केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 2 अगस्त, 2019 को अधिसूचना जारीकर इसे पारसनाथ वन्य जीव अभ्यारण्य पारिस्थितिकी संवेदी जोन घोषित किया है अब हमारा निवेदन है कि इन दोनों अधिसूचना को तत्काल वापस लिया जाये और इसे जैन पवित्र तीर्थ क्षेत्र घोषित किया जाये।
जैन समाज ने इसके लिए पहले भी कई बार आवाज उठायी है। केन्द्र सरकार व झारखंड सरकार को इस विषय में अनेक बार, अनेक जैन संस्थानों द्वारा सूचित किया गया है लेकिन उन सभी निवेदनों पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी।

अभी पूरा राष्ट्र जोर-शोर से आजादी का 75वां अमृत महोत्सव मना रहा है और अहिंसा का पुजारी जैन समुदाय तो हमेशा ही देश के आन, बान और शान को बनाये रखने में सबसे आगे रहता है।
लेकिन हर बार हमारी अहिंसा को हमारी कमजोरी समझकर हमारी आवाज को अनसुना किया जाता रहा है।

आपसे आशा ही नहीं पूरा विश्वास है कि आप हमारी इन मांगों का जरूर निराकरण करवायेगें और अगर आप ऐसा करते हैं तो इसके लिये जैन समुदाय आपका हमेशा आभारी रहेगा।
आपसे उचित त्वरित कार्यवही की अपेक्षा में

शरद जैन,महामंत्री
ईमेलः info@channelmahalaxmi.com