20 तीर्थंकरों की मोक्ष भूमि शाश्वत तीर्थक्षेत्र यहां की रज-रज में है कल्याण कण-कण में विराजमान है जीवन का सार्थक अर्थ हजारों संतो की समाधि के यहां मिलते है प्रमाण ऐसे विश्व वंदनीय श्री सम्मेदशिखरजी के पर्वत पर लगातार आग लगने की घटना बेहद चिंतनीय है दरअसल पारसनाथ पर्वत वन्य जीव अभ्यारण (wildlife sanctuary) के अन्दर आने वाला क्षेत्र है जो कि कई वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, ग्रीष्म ऋतु में या ये कहे की पत्तझड़ के मौसम में यहां के जंगलों के पेड़ से पत्ते झड़ने लगते है जो पत्ते झड़ जाते है मौसम गरम होने से बहुत ज्यादा सूख जाते है किसी कारण से जब से पत्ते आग के संपर्क में आ जाते है तो बहुत तेजी से ये आग फैल जाती है जिसे काबु करने में काफी मेहनत करनी पड़ती है।
श्री राज कुमार अजमेरा, महामंत्री, शाश्वत ट्रस्ट के द्वारा जब आज जानकारी के लिए कमेटी के वरिष्ठ प्रबंधक से जानकारी लेनी चाही की जो टीम पर्वत पर आग बुझाने के लिए गई उसकी क्या प्रगति है।
इसकी जानकारी करने वन कर्मियों को फोन करने पर पता चला कि पूरी टीम जंगल मे भटक गई है चूंकि आग बुझाने में रात हो गई और जंगल के बीहड़ से निकल कर मुख्य मार्ग तक पहुंचने में देर होने से अंधेरा बढ़ता चला गया हम लोंगो को किसी प्रकार मदद कर टॉर्च की रौशनी दे हमलोग अंदाज कठपुल के क्षेत्र में हैं भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी मधुबन कार्याल के सुमन कुमार सिन्हा, पवन देव् शर्मा,विष्णु एवं सिंहपुर के श्री कैलाश अग्रवाल के साथ टोर्च लेकर रात 8 बजे पहुंच कर टोर्च का सिंग्नल देने के बाद पारसनाथ जाने वाली कच्ची सड़क जो कठपुल से 2 km ऊपर होगा को पूरी टीम के साथ resque कर सड़क पर निकाल कर लाये पुनः उन्हें जलपान भी कराया जो लेकर मधुबन से गये थे पूरी टीम ने इस कार्य की सराहना की इसकी सूचना श्री अखिलेश सिंह,रेंजर साहब को भी दे दिया गया था उन्होंने ने आभार प्रगट किये।