पारसनाथ शिखरजी पर, आज भी दिव्य शक्तियां करती है चमत्कार, मौत को भी हरा देती है, आचार्य श्री के मुख से जानिए, उनके हैरतअंगेज अनुभव

0
931

06 फरवरी 2023/ फाल्गुन कृष्ण एकम /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन/EXCLUSIVE
अनादि निधन तीर्थ श्री सम्मेद शिखरजी की रज आज भी उतनी ही ऊर्जावान व चमत्कारी है, जेसी वह चतुर्थ काल में रही होगी । इसके आज भी अनेक जीवंत उदाहरण मिल जाते हैं।

ऐसे क्या क्षण थे ?
ऐसी क्या घटना थी ?
ऐसे क्या अवसर थे?
आचार्य श्री ने ऐसा क्या देखा?

ऐसे कैसे मौत आ जाती उनके पास और कैसे मौत उनके पास आकर भी हार जाती?
कौन था हराने वाला? कौन था जीतने वाला?
कैसे हारी मौत? कैसे जीत गई जिंदगी?
कौन सी है दिव्य शक्तियां?
कब आती है?
वह क्या करती हैं ?
ऐसे बहुत से सवालों के जवाब, चैनल महालक्ष्मी आपके बीच लाएगा सीधा अंतर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी के मुख से , एक्सक्लूसिव साक्षात्कार के दौरान ।

पिछले कुछ दिनों में ऐसी दो घटनाएं सामने आई, जब सबसे कठोर साधना उत्तम सिंह निष्क्रीड़ित व्रत और 557 दिन लगातार अनवरत मौन साधना करने के दौरान, अंतर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी मुनिराज अधिकांश समय पावन पहाड़ की स्वर्ण भद्र कूट के नीचे कमरे में विराजमान रहे। ऐसे समय में एक दिन तेज बारिश और ओलों के थपेड़ों में, वह जैसे मृत्यु के मुख के अंदर चले भी गए। डॉक्टरों ने उनका हाल देखकर उन्हें लगभग बिना जीवन के कह भी दिया, पर उन संत का कठोर तप , उस क्षेत्र की कण कण, ऊर्जावान श्रद्धा भक्ति की तरंगे, गुरुवर का आशीर्वाद और भगवान के प्रति आगाध श्रद्धा भक्ति से , जैसे वे 2 घंटे में मृत्यु के मुख के भीतर टहल कर वापस लौट आए।

वही दिन नहीं, एक दिन, जो वर्तमान में इतिहास को गौरवान्वित करता रहेगा, वही 28 जनवरी , जिस दिन हजारों हजारों लोगों के समक्ष, उनका महापारणा महोत्सव के रूप में श्रद्धालुओं ने किया और उनके 557 दिन के मौन रहने के बाद, उनके मुख से दिव्य वचनों की एक अमृत धारा बह निकली। उसी दिन उन क्षणों से चंद घंटे पहले भी एक बार फिर मृत्यु ने भी जैसे उनको लपेटने की जैसे कोशिश की। तब भी वह श्रद्धा, भक्ति , तप , त्याग केबल पर मौत के मुंह से वापस लौट आए। उन्हें लगा कोई गला दबाने की कोशिश कर रहा है ,पर क्या हो रहा था महापारणा से पहले?

ऐसा क्या घटित हुआ जो आज भी किसी को नहीं मालूम?

यही नहीं, पहाड़ पर आज भी दिव्य शक्तियां मौजूद हैं, जो उस पहाड़ को ही रक्षित नहीं करती, बल्कि आने वालों पर भी ,अपनी कृपा बरसाती रहती है। ऐसी ही दिव्य शक्तियों को आचार्य श्री ने ,अपने नेत्रों से स्वयं देखा , महसूस किया, उनका पीछा भी किया। उन दिव्य शक्तियों ने उन्हें स्पष्ट कर दिया कि परेशान मत करो , नहीं तो स्वयं परेशान हो जाओगे। ऐसी भी कई घटनाएं, जो आज भी हमें दांतो तले अंगुली दबाने को मजबूर कर देती है और ऐसी घटनाओं से सचमुच हम उन शक्तियों पर गर्व महसूस भी करते हैं , जो यहां की पावन धरा को आज भी रक्षित कर , जैसे अपनी पूरी जिम्मेदारी निभा रही हैं।

यह पहला भाग होगा। इसके बाद फिर और भी अनेक चर्चाओं से आपको हैरान करने के लिए बाधित कर देंगे। जरूर देखिएगा, मंगलवार 7 फरवरी, रात्रि 8:00 का विशेष एपिसोड, जिसमें आप दिव्य शक्तियों की अनुभूति कर पाएंगे ।

मौत से कैसे जीत पाते हैं वह जान पाएंगे ।
तप, त्याग , तपस्या कैसे रंग दिखाती है, पावन रज कैसे जीवन को महकाती है गुरुवर का आशीर्वाद कैसे काम आता है ?
बहुत कुछ मंगलवार, 7 फरवरी को रात्रि 8:00 के विशेष एपिसोड में । सभी एक्सक्लूसिव देखना ना भूले।