तीर्थयात्री असुविधा के प्रति रहे सावधान
दो माह पूर्व एक करोड़ के इनामी नक्सली सह भाकपा माओवादी संगठन के ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो के प्रमुख प्रशांत बोस और उनकी पत्नी शीला मरांडी की गिरफ्तारी के विरोध में माओवादियों ने 27 जनवरी को झारखंड-बिहार बंद का ऐलान किया है। इससे पहले 21 से लेकर 26 जनवरी तक माओवादी संगठन ने प्रतिरोध दिवस भी मनाने का निर्णय लिया है। जिससे नक्सल प्रभावित इलाकों में हलचल बढ़ गयी है। पुलिस महकमा भी अलर्ट है। क्योंकि विरोध दिवस के दौरान नक्सली किसी हिंसक वारदात को अंजाम दे सकते हैं। लिहाजा नक्सलियों के ऐलान के साथ ही पुलिस भी हर तरह से सामना करने को तैयार है। वहीं खुफियातंत्र के माध्यम से नक्सल प्रभावित इलाकों की हर गतिविधियों पर नजर रखे हुए है।
भाकपा माओवादियों के स्पेशल एरिया कमेटी ने एक प्रेस रिलीज जारी कर 27 जनवरी को बिहार झारखंड बंद करने और प्रतिरोध दिवस मनाने का एलान किया है। माओवादियों ने मांग की है कि उनके संगठन के वयोवृद्ध नेता ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो कमेटी के सचिव प्रशांत बोस और उनकी पत्नी शीला मरांडी को जल्द बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराई जाए। साथ ही प्रशांत बोस और शीला मरांडी को राजनीतिक बंदी का दर्जा देकर दोनों को बिना शर्त रिहा की जाए। क्योंकि इनकी आयु अब अंतिम अवस्था में है, और इस आयु में रिहाई का प्रावधान भी है। माओवादियों ने सरकार से मांग की है कि प्रशांत बोस और शीला मरांडी कई खतरनाक बीमारियों से जुझ रहे हैं।
पारसनाथ से प्रशांत बोस का रहा है रिश्ता
भाकपा माओवादी संगठन के पोलित ब्यूरो सदस्य सह 1 करोड़ का ईनामी नक्सली प्रशांत बोस पिछले 5 दशक से झारखंड, बिहार व छतीसगढ़ में नक्सलियों का सबसे बड़ा चेहरा रहा है। संयुक्त बिहार में महाजनी आंदोलन के दौरान 1970 में पश्चिम बंगाल से गिरिडीह आया था। इसके बाद से एमसीसीआई के प्रमुख बनने से लेकर कई राजनीतिक हत्याओं तक में प्रशांत बोस मास्टरमाइंड की भूमिका में रहे। लिहाजा झारखंड, बिहार, छतीसगढ़, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों की पुलिस के अलावा केंद्रीय एजेंसी सीबीआई और एनआईए को प्रशांत बोस की तलाश थी। वर्तमान में प्रशांत की उम्र 80 पार कर चुकी है, और पिछले 5 सालांे से अस्वस्थ है।
बावजूद गिरफ्तारी के भय से उसे जंगल में ही रहना पड़ा। पारसनाथ में लंबा वक्त गुजारने के बाद सुरक्षा के दृष्टिकोण से उसे सारंडा में शिफ्ट किया गया और छतीसगढ़ के क्यूआरटी माओवादियों की प्रोटेक्शन दस्ताें की सुरक्षा में रखी जा रही थी। लेकिन इलाज के लिए वह 12 नवंबर 2021 को ज्योंही बाहर निकला कि पहले से ही जाल बिछा रखी झारखंड पुलिस ने दबोच लिया। साथ में उनकी पत्नी शीला मरांडी उर्फ शीला दी, बिरेन्द्र हांसदा उर्फ जितेन्द्र, राजू टुडू उर्फ निखिल उर्फ बाजु, कृष्णा बाहदा उर्फ हेवेन और गुरूचरण बोदरा को भी गिरफ्तार कर लिया गया। जिससे माओवादी संगठन को न सिर्फ बड़ा झटका लगा, बल्कि संगठन का सबसे मजबूत पीलर ध्वस्त हो गया है। क्यांेकि प्रशांत बोस उर्फ किशन दा व शीला मरांडी की गिरफ्तारी देश के लिए सबसे बड़ी गिरफ्तारी थी। इस रैंक का कोई माओवादी देश भर में न तो पहले कहीं पकड़ा गया था और न ही मारा ही गया था।
पुलिस हर तरह से है तैयार : एसपी
नक्सलियांे का यह रूटीन वर्क हो चुका है। फिर भी निबटने को पुलिस हर तरह से तैयार है। पुलिस का खुफिया तंत्र सक्रिय है और हर गतिविधियों पर नजर रखे हुए है। नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस गश्त तेज करने के साथ सभी थानांे को अलर्ट किया गया है। साथ ही वैसी तमाम सरकारी संपत्तियों की सुरक्षा हेतु अलग से टीम लगाई गई, ताकि किसी तरह की वे क्षति नहीं पहुंचा सके।”- अमित रेणु, एसपी, गिरिडीह
-भास्कर से साभार