28 अप्रैल : बैसाख कृष्ण द्वितीया उत्तम क्षमा के उद्घोषक 23वें तीर्थंकर आये महारानी वामादेवी के गर्भ में

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भव दर भव, उत्तम क्षमा को धारने वाले मरुभूति के जीव ने बैसाख कृष्ण द्वितीया, जो इस बार 28 अप्रैल को है, को काशी में महाराज विश्वेसन की महारानी वामादेवी के गर्भ में आये, जो आगे चलकर श्री पार्श्वनाथ के रूप में 23वें तीर्थंकर के रूप में तीनों लोक में विख्यात हो गये।

निश्चित ही सभी 24 तीर्थंकरों के गुण समान हैं, फिर भी मात्र 250 वर्ष के जिनशासन वाले, पारसप्रभु सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं, क्यों यह अंदाजा आप ही लगा लीजिए। बोलिए, 23वें तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ जी के गर्भ कल्याणक की जय।