पारसनाथ में बलि पर FIR ॰ अज्ञात के खिलाफ दर्ज प्रथामिकी, जांच शुरू, ॰ पारसनाथ में लगेंगे पवित्रता के बोर्ड ॰ शीघ्र दो चैकपोस्ट लगाने की भी संभावना

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॰ दोनों समुदायों ने घृणित घटना की कड़ी निंदा की
॰ प्रशासन का आश्वासन पारसनाथ की पवित्रता रहेगी बरकरार, भविष्य में ऐसी कोई अप्रिय घटना नहीं

02 अगस्त 2024// श्रावण कृष्ण त्रयोदशी //चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/शरद जैन /
‘मरांग बुरु में आपका स्वागत है’ – मई 2024 में यह बोर्ड लग गया मधुबन तलहटी में पहले मंदिर से पहले। साथ में कहा गया कि श्री सम्मेदशिखरजी या पारसनाथ का नाम तो जैनों ने बाद में कह दिया, इसका तो पहले प्रकृति के देवता मरांग बुरु ही नाम था। लग गया बोर्ड, पर दो माह तक जैन समाज को पता ही नहीं चला, फिर चातुर्मास स्थापना से एक दिन पूर्व श्री सम्मेदशिखरजी में पहुंचे झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी अपनी पत्नी कल्पना सोरेन के साथ। साथ ही विधायक, सांसद और पूरा प्रशासनिक विभाग।

वंदना मार्ग पर क्षेत्रपाल बाबा से आगे बढ़कर साइड में ये है ‘दिशोम मांझी थान’ जहां आदिवासी समुदाय प्रकृति को पूजता है। बस वहीं के फोटो उन्होंने स्वयं अपने ट्विटर हैण्डल पर जारी की। चंद घंटे बाद दो फोटो ने शांत पारसनाथ को अशांत कर दिया। अहिंसा स्थल पर हिंसा का तांडव दिखाते उन फोटो ने सबको हतप्रभ कर दिया। बोलने को शब्द नहीं थे। एक वीडियो सामने आया, जिसमें मुख्यमंत्री की उपस्थिति में वहां पुजारी बलि के लिये संक्लप विधि करते पशु दिख रहे थे। पहले कहा गया कि ये बलि वहां से दूर दी गई। पर फोटो स्पष्ट संकेत दे रहे थे कि दिशोम मांझी थान पर ही बलि दी गई। (इस बारे में चैनल महालक्ष्मी का एपिसोड नं. 2742, 2748 देख सकते हैं।)


केन्द्र व राजकीय सभी वायदे, आदेश, सब एक झटके में तार-तार हो गये। मुख्यमंत्री कार्यालय से कोई प्रतिक्रिया स्पष्टीकरण के रूप में ना आने से मसला और गंभीर हो गया। इधर मधुबन जैन समाज के चुनाव हो गये। और कई दशक बाद कमान अब युवाओं के हाथ में आ गई। राजू जैन अध्यक्ष और अमित जैन महामंत्री। दोनों की चैनल महालक्ष्मी से इस घटनाक्रम पर लम्बी चर्चा हुई। इस बारे में चैनल महालक्ष्मी का एपिसोड नं. 2761 देख सकते हैं)।

लगातार बैठकों का दौर चला। दिल्ली में तीर्थक्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष बाबू जम्बू प्रसाद जैन, महासभा के अध्यक्ष गजराज जैन गंगवाल, महासमिति के कार्याध्यक्ष दीपक जैन, पवन जैन गोधा के साथ चैनल महालक्ष्मी ने भी मीटिंग में भाग लिया। फैसला हुआ कि शीघ्र झारखंड के मुख्यमंत्री से इस पर चर्चा कर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। कोई आंदोलन, नारेबाजी कर शिखरजी में दोनों समुदायों के बीच सद्भाव के वातावरण को खराब नहीं किया जाएगा। पर जो भी दोषी है, उसके खिलाफ कार्यवाही के लिये और भविष्य में ऐसी कोई घटना ना हो, इस बारे में एक योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा।
उधर इस बार मधुबन के स्थानीय समाज ने अपने बढ़-चढ़ कर प्रयास किये। वैसे देशभर में जैन समाज की चुप्पी से सान्ध्य महालक्ष्मी हतप्रभ जरूर हैं।

पिछली बार तलहटी में नीचे मुर्गा मीट बनने पर जगह-जगह आंदोलन-प्रदर्शन हुये, सबने कसकर विरोध किया, पूरा देश उठ खड़ा हुआ। केन्द्र व राज्य सरकार को कदम उठाने पड़े। पर इस बार वंदना मार्ग में बलि और कोई आवाज नहीं, न संत संघों से, न विद्वानों से, ना ही जागरूक श्रेष्ठियों से। क्या हम अपने सबसे बड़े तीर्थ के प्रति इतने ज्यादा उदासीन हो गये हैं। यह पूरे जैन समाज के लिये निश्चित ही बहुत गंभीर बात है।

मधुबन जैन समाज के अध्यक्ष राजू जैन तथा महामंत्री अमित जैन ने चैनल महालक्ष्मी को इस पूरे प्रकरण की जानकारी दी कि कई बार वहां से अलग विभिन्न क्षेत्रों में पूरी जानकारी के अभाव में आदिवासी समाज के विरोध में आंदोलन, बयानबाजी पारसनाथ के पूरे वातावरण को खराब कर देती है। इस बारे में उन्होंने चैनल महालक्ष्मी से अपील की, कि वे ऐसी जानकारी दें, जिससे आपसी सौहार्द बरकरार रहे, आपका चैनल महालक्ष्मी यहां सभी देखते हैं, इसलिये आप वो सही जानकारी दे।

अमित जैन ने बताया कि इस बारे में एसडीएम की अध्यक्षता में दोनों समुदायों की शुक्रवार 26 जुलाई को बैठक मधुबन गेस्ट हाउस में हुई, जहां अनुमंडल पदाधिकारी ने स्पष्ट कहा कि वंदना मार्ग के साइड में बने दिशोम मांझी थान में 19 जुलाई को 4 पशु बलि के मामले में मधुबन थाने में अज्ञात के विरुद्ध केस दर्ज कर लिया है और जल्द ही मामले की जांच कर दोषी तत्वों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी। घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसका आश्वासन भी प्रशासन ने दिलाया। दोनों समुदायों के बीच समन्वय के लिये एक कमेटी को गठन की बात भी कही।

बैठक में दोनों समुदायों ने एक स्वर में बलि की घटना की कठोर निंदा की। अमित जैन ने चैनल महालक्ष्मी को उस घटना का खुलासा करते हुये बताया कि मुख्यमंत्री का बलि में कोई हाथ नहीं है। हां, उनके सामने चारों पुश लाये गये, उनकी पत्नी कल्पना सोरेन की मन्नत पूरी होने के सिलसिले में ही वहां मुख्यमंत्री पूजा करने आये थे। जब चारों पशु उनके सामने आये, तो उन्होंने पुजारी से पूछा भी – ये क्या है? तब पुजारी ने कहा कि यहां श्री पारसनाथ से 5-6 किमी दूर बलि दी जाएगी। पर पता नहीं किन अराजकतत्वों ने वहां पर घृणित कार्य किया, उसकी प्राथमिकी दर्ज हो गई है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि दोनों समुदाय पारसनाथ की पावनता-पवित्रता पूरी तरह बरकरार रखने के लिये कटिबद्ध हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि पारसनाथ परिसर से शीघ्र बोर्ड प्रशासन द्वारा लगाये जायेंगे, जिन पर पुराने आदेश का विवरण लिखा होगा कि यहां मांस आदि की बिक्री पूरी तरह निषेध है।
साथ ही उन्होंने बताया कि जल्द ही मधुबन प्रवेश पर तथा वंदना मार्ग के शुरू में चैकपोस्ट लगाई जाएंगी, जिससे पारसनाथ की पवित्रता बरकरार रखी जा सके।