पार्श्वनाथ जन्मकल्याणक के दिन धरती से प्रगटे पारसनाथ – सिद्धक्षेत्र कुण्डल में प्रतिमा प्राप्त

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1959

तीर्थंकर पार्श्वनाथ व महावीर स्वामी के समवशरण आगमन से धन्य व केवली श्रीधर स्वामी की निर्वाण स्थली कुण्डल,जिला-सांगली, महाराष्ट्र में 9 जनवरी प्रातः मध्यकालीन तीर्थंकर पार्श्वनाथ स्वामी की प्रतिमा प्राप्त हुई।
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के शिष्य – आगमसागर मुनि महाराज, पुनीतसागर मुनि महाराज, सहजसागर मुनि महाराज संघ यहां विराजमान थे,एवं पिछले दो दिन से मुनिसंघ पहाड़ पर रात में ध्यान में लीन रहते थे।

कुंडल गांव में तीन मंदिर है,एक कलिकुण्ड पार्श्वनाथ स्वामी का,दूसरा गिरी पार्श्वनाथ का तो तीसरा झरी पार्श्वनाथ का, यह दक्षिण भारत का सबसे पुराना तीर्थ है,इस गांव में समय-समय पर खुदाई में तीर्थंकर मूर्तियां मिलती रहती है,दूसरे ने यहां कब्जे की पूर्व में कोशिश कि थी,पर गुरुवर्यो के श्रम से यह क्षेत्र बच पाया।